RLD के नवनियुक्त राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे का गोण्डा में कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया

राष्ट्रीय लोकदल के नवनियुक्त राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे का अपने गृह जनपद गोण्डा में प्रथम आगमन पर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं तथा शुभचिंतकों द्वारा जोरदार ऐतिहासिक स्वागत किया गया।  उन्होंने सुबह लखनऊ से जरवल रोड पहुंचे और जरवल से स्वागत का सिलसिला हुआ। जरवल रोड, करनैलगंज, बालपुर, गोण्डा सदर, अम्बेडकर चौराहा, चौपाल सागर सहित दर्जनों स्थानों पर उनका स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। पूरे गोण्डा में पार्टी के झंडे, बैनर और होर्डिंग्स उनके स्वागत से पटी हुयी थी।

सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ अनिल दुबे का जनसैलाब उमड़ता देखकर गोण्डा के लोग अचंभित और आश्चर्यचकित थे। उनके स्वागत में लोगों ने दलीय सीमा को तोड़कर 51 किलो की कई मालाओं से उन्हें लाद दिया। स्वागत के पश्चात सिंचाई विभाग के फील्ड हास्टल में पहुंचने पर दुबे ने सर्वप्रथम भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर मार्ल्यापण कर उनको नमन किया और उपस्थित पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों से वार्ता की।

इस अवसर पर सिंचाई विभाग डाक बंगले के फील्ड हास्टल में आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुये अनिल दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल, मध्य, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में अपने खोये हुये जनाधार को वापस लाने के लिए भारत रत्न चौधरी चरण सिंह तथा चौधरी अजित सिंह के अनुयायियों और समर्थकों को जोड़ने का अभियान चला रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव 2027 तक संगठन को चुस्त दुरुस्त करेगा। उन्होंने कहा कि रालोद जिला पंचायत चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल किसानों के मान सम्मान और उनके हितों के लिए कोई समझौता नहीं करेगा । एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी एवं सपा प्रमुख अखिलेश तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के हिन्दी विरोधी रूख को अपना मत स्पष्ट करें कि तमिलनाडु में हिन्दी चाहते है या नहीं।

स्वागत समारोह अनिल दुबे के साथ प्रदेश सचिव अफसर अली के अतिरिक्त जिलाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, प्रदेश महासचिव सूर्यनारायण सिंह, प्रदेश संजय पाठक मौजूद रहे। स्वागत कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री पी0जी0 कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष उमेश शुक्ला, डाॅ0 संजय पाण्डेय, गोण्डा बार एसोसिएशन के पदाधिकारी अरुण शुक्ला, शिवपूजन शुक्ला, शिव यज्ञ पाण्डेय, अधिवक्ता रविन्द्र पाण्डेय ने मुख्य रूप से रहे।

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