UPCM ने उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक की

उत्तर प्रदेश।
UPCM ने कहा कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण के बड़े अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की उपज का लाभकारी उपयोग खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के माध्यम से किया जा सकता है। इससे उनकी आय बढ़ेगी और उपज का शत-प्रतिशत इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पैदावार के लिए पहचाने जाने वाले क्षेत्र विशेष में उस उपज से सम्बन्धित खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां स्थापित की जानी चाहिए। उन्होंने राज्य में खाद्य/दुग्ध प्रसंस्करण से सम्बन्धित इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से इन दोनों का एक ही पोर्टल लागू करने के निर्देश दिए।

UPCM शास्त्री भवन में फूड प्रोसेसिंग पॉलिसी-2017 के अन्तर्गत नई यूनिटों की स्थापना हेतु निर्धारित लक्ष्य एवं उसके सापेक्ष हुई प्रगति की समीक्षा बैठक करते हुए
UPCM शास्त्री भवन में फूड प्रोसेसिंग पॉलिसी-2017 के अन्तर्गत नई यूनिटों की स्थापना हेतु निर्धारित लक्ष्य एवं उसके सापेक्ष हुई प्रगति की समीक्षा बैठक करते हुए

UPCM ने शास्त्री भवन में उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के क्रियान्वयन की समीक्षा के सम्बन्ध में किए गए प्रस्तुतिकरण के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आलू के उत्पादन के लिए फर्रूखाबाद और इससे सटे हुए जनपदों को जाना जाता है। ऐसे में इस आलू उत्पादक क्षेत्र में ‘पोटैटो चिप्स’ और आलू से बनने वाले अन्य उत्पादों की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग इकाइयां स्थापित करना किसानों के हित में होगा।

UPCM के समक्ष प्रस्तुतिकरण देते हुए प्रमुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण सुधीर गर्ग ने बताया कि उ.प्र. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के क्रियान्वयन हेतु शासनादेश एवं दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। प्रस्तावों को आॅनलाइन प्राप्त करने हेतु पोर्टल 27 जनवरी, 2018 से प्रारम्भ किया जा चुका है, जिस पर उद्यमियों द्वारा आवेदन किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि नीति के क्रियान्वयन के फलस्वरूप अगले 05 वर्षों में 4916.50 करोड़ रुपए का निवेश लक्षित है, जिसके लिए 994.50 करोड़ रुपए की आवश्यकता अनुमानित है। लक्ष्य के सापेक्ष निवेशकों द्वारा 3680.40 करोड़ रुपए के प्रस्ताव भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार की योजनाओं के अंतर्गत प्रेषित किए गए हैं, जिनमें निवेश विभिन्न चरणों में प्रगति पर है।

प्रमुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण ने बताया कि विभागीय पोर्टल पर उ.प्र. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 की योजनाओं के अंतर्गत 46 उद्यमियों द्वारा आवेदन किया गया, जिनमें प्रदेश में 172.50 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश एवं 4862 लोगों हेतु रोजगार प्रस्तावित है। प्राप्त प्रस्तावों पर कार्यवाही प्रगति पर है। भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना अंतर्गत प्रदेश में 03 मेगा फूड पार्क, 02 एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर (मिनी फूड पार्क) तथा 14 वृहद खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को स्वीकृति प्रदान की गयी है, जिनमें निवेश का कार्य प्रगति पर है।

खाद्य प्रसंस्करण सचिव ने बताया कि इन्वेस्टर्स समिट-2018 के तहत निवेश हेतु कुल 250 M.O.U प्राप्त हुए, जिन्हें M.O.U ट्रैकिंग पोर्टल पर मैप किया गया है। इनमें लगभग 14594.94 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है और 145516 लोगों को रोजगार मिलना सम्भावित है। ग्राउण्ड ब्रेकिंग अवसर हेतु औद्योगिक विकास विभाग द्वारा खाद्य प्रसंस्करण के 13 उद्यमियों का चयन किया गया है, जिसमें 743.75 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है। अन्य 25 उद्यमियों के द्वारा भी 1399.74 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश एवं 8000 रोजगार सृजन प्रस्ताव पर कार्रवाई की जा रही है।

प्रमुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण ने प्रदेश में आलू एवं भण्डारण क्षमता की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्ष 2018 में निजी क्षेत्र में 73 कोल्ड स्टोरेज की स्थापना/आधुनिकीकरण/क्षमता विस्तार प्रक्रियाधीन है, जिससे लगभग 4.95 लाख मी.टन अतिरिक्त भण्डारण क्षमता सृजित होगी। उन्होंने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के समक्ष मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि जनपद स्तर पर विशेष अधिकारियों की अनुपलब्धता है। उन्होंने भारत सरकार की भांति प्रदेश में मेगा फूड/मिनी फूड पार्क योजना के क्रियान्वयन पर विचार का भी सुझाव दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के प्राविधानों के कार्यान्वयन हेतु पृथक बजट हेड पर विचार करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने उ.प्र. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2012 के तहत प्राप्त प्रस्तावों के विषय में भी अवगत कराया।

UPCM ने प्रस्तुतिकरण देखने के उपरान्त आलू से बनने वाले विभिन्न खाद्य उत्पादों की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को आलू उत्पादक क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों के प्रमुख आलू उत्पादकों और खाद्य प्रसंस्करण से सम्बन्धित उद्यमियों की एक बैठक बुलायी जाए, जिसमें इस विषय पर व्यापक मंथन किया जाए, ताकि ऐसी इकाइयों की स्थापना शीघ्रता के साथ करायी जा सके। जनपद स्तर पर विशेषज्ञ अधिकारियों की अनुपलब्धता के सम्बन्ध में उन्होंने ‘कन्सल्टेन्ट’ नियुक्त करने पर विचार करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य स्तर पर मेगा फूड/मिनी फूड पार्क योजना के सम्बन्ध में मुख्य सचिव के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण आयोजित करने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर मुख्य सचिव राजीव कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एस.पी. गोयल, प्रमुख सचिव दुग्ध विकास सुधीर महादेव बोबडे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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