UPCM का ‘स्कूल चलो अभियान’ बाराबंकी में होगा फ्लॉप….. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

रिपोर्ट – अथर्व रस्तोगी।
उत्तर प्रदेश (बाराबंकी)।
UPCM सरकार एक तरफ जहाँ अप्रैल माह में ‘स्कूल चलो अभियान’ शुरू कर रही है और UPCM ने सभी जिलाधिकारियों को ‘स्कूल चलो अभियान’ को सफल बनाने के भी निर्देश दिये। वहीँ दूसरी ओर राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो यहाँ पर शिक्षा विभाग में अनेकों अनियमितता देखने को मिलती हैं। कहीं शिक्षक नदारद मिलते हैं तो कहीं क्लास रूम में कूड़े का अंबार पड़ा नजर आता है।

UPCM सरकार का ‘स्कूल चलो अभियान’ अभी शुरू ही नही हुआ कि जायजा लेने UPCM NEWS की टीम बाराबंकी के हरक ब्लाक पहुंची जहाँ शिक्षक मिले भी उनके तो क्या कहने थे? कोई मीटिंग में जाने का बहाना बनाता मिला तो कईयों ने फोन पर छुट्टी ले रखी थी और जब उनसे मौके पर अंग्रेजी के मामूली अल्फाज की स्पेलिंग जाननी चाही तो अजीबों गरीब जवाब मिले साथ ही स्पेलिंग तक लिखनी नहीं आती थी।

मामला बाराबंकी के हरक ब्लॉक का हैं जहां औचक निरीक्षण करने पर पता चला कि शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियां गिना रही सरकार आखिर राजधानी से 25 किलोमीटर दूर अपनी नजर क्यों नहीं देख पाती? आखिर क्यों जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी निरीक्षण का कार्य नहीं करते? जब हमारी टीम निरिक्षण करके इतनी कमियां निकाल सकती है तो अधिकारी को तो जिले के चप्पे-चप्पे से वाकिफ होना चाहिए।

प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों का निरीक्षण करने के इरादे से जब हमारी UPCM NEWS की टीम निकली तो हमारा कारवां जा रुका सरायमिही पुर के गांव में। आपको बता दें कि यह गांव महज लखनऊ से 27 किलोमीटर की दूरी पर है या इससे भी कम ही होगा। सरायमिही गांव के माध्यमिक विद्यालय में जब हम पहुंचे तो यहां क्लास रूम में गंदगी का अंबार लगा था, शौचालय व्यवस्था कर्मचारियों के बेरुखी के दर्द से कराह रही थी, यह खामियां तो थी लेकिन बात जब शिक्षा पर आई तो जो हुआ वह बेहद ही चौंकाने वाला था। हमने कक्षा 6 की बच्ची से चाक की स्पेलिंग लिखने के लिए कहा तो बच्ची नहीं लिख पाई। बात यहीं खत्म हो जाती तो फिर क्या था, जब हमने स्कूल की प्रधानाचार्या इंदू तिवारी से कहां कि वह बच्चे को सही स्पेलिंग लिखकर बताएं कि चाक की सही स्पेलिंग क्या होती है?

स्कूल की प्रधानाचार्या जिनके पास सभी बच्चों का दारोमदार है वह भी चौक की स्पेलिंग सही नहीं लिख पाई। स्टाफ के जूनियर टीचर ने आकर सही स्पेलिंग लिखी। हमने ऑफ कैमरा उनसे पूछा कि मैडम इतनी बड़ी मिस्टेक आपसे कैसे हो सकती है तो उन्होंने अपने पुराने जमाने की पढ़ाई का हवाला दिया और कहा कि हमने इतनी अंग्रेजी नहीं पढ़ी है।

खैर बात यहीं तक रूकती तो और बात थी। हमारी टीम का कारवां आगे बढ़ा तो एक और स्कूल पर नजर पड़ी यह स्कूल था अख्तियारपुर का प्राथमिक विद्यालय जहां हमारी टीम पहुंची तो बच्चे नदारद थे ही साथ में समय से पहले प्रधानाचार्या मैडम ने वर्कलोड के चलते छुट्टी कर दी थी। हम मीडिया कर्मियों को देखकर आनन-फानन में ने प्रधानाचार्या मैडम ने किसी तरह दो तीन चार बच्चों को बुलवाया। हमने यहां भी बच्चों से अंब्रेला और चाक की स्पेलिंग लिखने को कहीं, लेकिन बच्चे तो तब लिखेंगे जब उन्हें पढ़ाया गया होगा? यहां भी हमने प्रधानाचार्या महोदय से वही बात कही कि बच्चों को लिखकर बताएं ताकि आगे से बच्चे उस स्पेलिंग को याद रख सके, लेकिन यहां जो भी हमें देखने को मिला वह बेहद ही चौंकाने वाला था प्रधानाचार्या निरुपमा अवस्थी ने जब चाक की स्पेलिंग लिखी तो हमारा सर शर्म से पानी पानी हो गया। यहां की प्रधानाचार्या निरूपमा अवस्थी चाक की स्पेलिंग नहीं लिख पायी और एक बार नहीं 2 बार कोशिश की, फिर भी उनसे स्पेलिंग सही ना हो पाई।

इसके बाद जब हमारी टीम थोड़ा और आगे बढ़ी तो हम पहुंचे सतरिख थाना क्षेत्र के चौराहे पर, ठीक चौराहे पर बना यहां का प्राथमिक विद्यालय जहां स्कूल में बच्चों की जगह पर ताले लटक रहे थे। यहाँ टीचरों की तैनाती वाली जगह पर केवल एक ही टीचर तैनात थी जिनका नाम था संध्या वर्मा, बाकी टीचर कहां है यह पूछने पर वह कोई सटीक जवाब नहीं दे पायी और यहां भी काम के बोझ के चलते मैडम ने बच्चों की छुट्टी कर दी? जब हमने पूछा कि छुट्टी करने का अधिकार के आपको है तो मैडम ने हंसते हुए जवाब दिया अधिकार तो नहीं है लेकिन हमने छुट्टी कर दी क्योंकि काम का बोझ बहुत ज्यादा था।

बच्चे अकेले करते हैं पढ़ाई, फोन पर छुट्टी लेकर टीचर करते हैं घर पर आराम
शिक्षण कार्य का निरीक्षण करने जब हम हरक ब्लॉक के बंदगी पुर गांव के प्राथमिक विद्यालय 2 दिन पहले पहुंचे थे तो यहां पर जो देखने को मिला वह बेहद ही चौंकाने वाला था। उस समय घड़ी-घड़ी में तकरीबन सुबह के 11:00 बज रहे थे और स्कूल में बच्चे खुद ही पढ़ रहे थे ना ही कोई टीचर था ना ही कोई शिक्षक। यहाँ पर न ही कोई शिक्षा मित्र यहां तक कि स्कूल के प्रधानाध्यापक भी नदारद थे और बच्चों को एक रसोईया के भरोसे छोड़ रखा गया था। हमने हम जब स्कूल पहुंचे तो स्कूल की दीवार पर लिखे प्रधानाध्यापक के नंबर को हम ने मिलाया और उनको बताया कि हम लोग आए हुए हैं तब कहीं जाकर प्रधानाध्यापक सचिंद्र कुमार लगभग पौन घंटे बाद स्कूल पहुंचे। जब हमारी उनसे बात हुई थी तब स्कूल में ना होने का वह कोई वाजिब कारण नहीं दे पाए, साथ ही साथ वहां पर तैनात दूसरी शिक्षक सरिता देवी के विषय में जब हमने पूछा कि वह कहां है तो उनका साफ तौर पर कहना था कि मैडम ने फोन पर छुट्टी ले रखी है? हमने दोबारा उनसे पूछा क्या उन्होंने कोई लिखित में सूचना दी है तो उन्होंने कहा मैडम ने फोन करके उन्हें बताया था?

इन सभी मुद्दों को मद्देनजर रखते हुए हम जब जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी से जानकारी लेने पहुंचे तो BSA साहब ने हमारी रिपोर्ट को ही मानने से इनकार कर दिया और यहां तक कि हमारे द्वारा रिकॉर्ड कर की गई वीडियो को भी देखने से इंकार कर दिया। बिना वीडियो देखे ही वही पुराना अधिकारियों वाला रटा-रटाया जवाब दे डाला और कहा कि वह उसकी खुद विभागीय जांच कराएंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर विभागीय जांच में इतना दम होता तो इस तरह की खामियां क्यों सामने आती?

UPCM NEWS | UPCM सरकार के ‘स्कूल चलो अभियान’ को बाराबंकी अधिकारी दिखा रहे ठेंगा

 

अब सवाल यह उठता है कि जहां एक ओर जब UPCM प्रदेश में ‘स्कूल चलो अभियान’ को सफल बनाने में लगे हैं वही दूसरी तरफ बाराबंकी जैसे अनेक जिलों में ऐसी ही खामियां होगी, लेकिन जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी केवल और केवल जाँच की बात कहकर अपना पल्ला झाड लेते हैं और फिर वही पुराना रवैया शुरू हो जाता है। बाराबंकी जिले में अगर शिक्षा का स्तर ऐसा है तो प्रदेश के दूरदराज के जिलों/इलाकों में शिक्षा का स्तर का अंदाजा लगाना बहुत ही आसान है। BSA अपने मनमाने रवैये से काम करते हैं और उनके अधिकारी तो चार गुना आगे ही हैं ये बात आप हमारी रिपोर्ट देखकर खुद जान जायेंगे। अब देखने वाली बात यह है कि क्या प्रदेश के मुखिया इनपर क्या कार्यवाही करेंगे?

इस सम्बन्ध में जब हमने UPCM सरकार की बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल से फ़ोन पर बात करनी चाही तो बात नही हो पायी और बताया गया कि सम्बंधित खबर के सम्बन्ध में मंत्री जी से मिल लीजियेगा और मंत्री जी उचित कार्यवाही करेंगी।

Related Articles

Back to top button
btnimage