मुख्यमंत्री योगी ने विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ कृषि परियोजना के सम्बन्ध में बैठक की
राज्य सरकार विश्व बैंक की सहायता से कृषि सेक्टर के कायाकल्प और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘यू0पी0 एग्रीस’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही: मुख्यमंत्री
फसलों के क्रॉप क्लस्टर, इनसे जुड़े उद्योगों के नए क्लस्टरों का विकास तथा निर्यात की बढ़ोतरी का प्रयास भी होगा
यह परियोजना किसान, कृषक उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमियों को हर सम्भव तकनीकी सहायता तथा इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएगी
लखनऊ 05 अगस्त, 2024
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि सेक्टर के कायाकल्प और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ‘कृषि विकास एवं ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम’ (यू0पी0 एग्रीस) की शुरुआत करने जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत न केवल फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नियोजित प्रयास होंगे, बल्कि मूंगफली, मिर्च और हरी मटर जैसी फसलों के क्रॉप क्लस्टर और इनसे जुड़े उद्योगों के नए क्लस्टरों के विकास तथा निर्यात की बढ़ोतरी का प्रयास भी होगा। राज्य सरकार किसानों को विभिन्न देशों में भेजकर नई तकनीक का प्रशिक्षण दिलाएगी। साथ ही, कृषि सेक्टर का वित्त पोषण करेगी। विश्व बैंक की सहायता से शुरू हो रही यह परियोजना किसान, कृषक उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमियों को हर सम्भव तकनीकी सहायता तथा इंफ्रास्ट्रक्चर भी मुहैया कराएगी।
मुख्यमंत्री ने आज अपने सरकारी आवास पर विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 187.70 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि के साथ उत्तर प्रदेश देश का एक मात्र राज्य है, जहां कुल उपलब्ध भूमि के 76 प्रतिशत पर खेती की जाती है। मैनपावर हो या शुद्ध जल की उपलब्धता अथवा विविध क्लाइमेटिक जोन, उत्तर प्रदेश में हर वह पोटेंशियल है, जो उसे देश के कृषि सेक्टर का पावर हाउस बनाता है।
राज्य में 86 प्रतिशत से अधिक सिंचित भूमि है। विगत 07 वर्षों में नियोजित प्रयासों से प्रदेश में विभिन्न फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अब भी बुंदेलखण्ड, पूर्वांचल तथा विंध्य क्षेत्र में अब भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश को 09 एग्रो क्लाइमेटिक जोन का लाभ प्राप्त होता रहा है। इस नई परियोजना में इन एग्रो क्लाइमेटिक जोन के आधार पर फसल उत्पादन एवं अन्य कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जानी चाहिए।
उ0प्र0 देश के कृषि सेक्टर का पावर हाउस
मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य की कुल जनसंख्या में 40-40 प्रतिशत की भागीदारी रखते हैं, लेकिन जहाँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रदेश के कृषि उत्पादन में 50 प्रतिशत योगदान है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 28 प्रतिशत है। इसी प्रकार, बुंदेलखण्ड में प्रदेश की कुल जनसंख्या की 07 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। जबकि कृषि उत्पादन में इस क्षेत्र का योगदान मात्र 5.5 प्रतिशत है। इस परियोजना के अन्तर्गत हमारा उद्देश्य हो कि चयनित क्षेत्रों में कृषि खाद्य प्रणाली को जलवायु सहिष्णु और व्यावसायिक रूप से विकसित किया जाए।
जेवर अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब की स्थापना की जाए
जेवर अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब की स्थापना की जाए। कृषि में ऋण प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण में महिला समूहों की भागीदारी भी बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए। परियोजना के तहत विशिष्ट उत्पादों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के विकास, आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने तथा बाजार मानकों के अनुरूप फसल की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास भी किये जाने चाहिए।
यू0पी0 एग्रीस परियोजना पूर्वी उ0प्र0 के 21 तथा बुंदेलखण्ड के 07 जनपदों में संचालित की जाएगी
मुख्यमंत्री को परियोजना के बारे में अवगत कराते हुए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ अब तक हुई वार्ता के अनुसार यह परियोजना 06 वर्ष की होगी। लगभग 4000 करोड़ रुपए की इस परियोजना का सीधा लाभ कृषक, कृषक उत्पादक समूहों, मत्स्य पालकों और कृषि सेक्टर से जुड़ी एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को होगा। यू0पी0 एग्रीस परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 तथा बुंदेलखण्ड के 07 जनपदों में संचालित की जाएगी। परियोजना के माध्यम से 10 लाख किसानों को प्रत्यक्ष सहायता मिलेगी, जिनमें से 30 प्रतिशत महिला किसान होगी। इसके अतिरिक्त 01 लाख से अधिक मत्स्य पालक परिवारों को सहायता दी जाएगी। 500 किसानों को सर्वोत्तम कृषि तकनीकी देखने के लिए विदेश भ्रमण भी कराया जाएगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि इस परियोजना के माध्यम से इन जनपदों में प्रति व्यक्ति आय और सी0डी0 रेशियो में भी वृद्धि देखने को मिलेगी। उत्पादकता वृद्धि के लिए उपयुक्त उन्नत प्रजाति के बीजों की समय से उपलब्धता, संसाधनों का समुचित विकास, जलवायु तंत्र का लाभ उठाने तथा खाद्य सुरक्षा में वृद्धि के लिए आवश्यक निवेश किया जाएगा। परियोजना के अन्तर्गत कृषि क्षेत्र के लिए विस्तृत डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास भी किया जाएगा। साथ ही, वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता में सुधार एवं कार्बन बाजार का लाभ किसानों को दिलाने का प्रयास भी होगा।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख, कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ0 देवेश चतुर्वेदी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।