UPCM के एंटी भू-माफिया अभियान के तहत हरदोई में गरजा बुलडोजर

उत्तर प्रदेश।
UPCM के निर्देश के बाद चलाए जा रहे एंटी भूँ माफिया अभियान के श्रावस्ती मॉडल के तहत उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की गयी है। 50 साल से सरकारी भूमि पर कब्जा जमाए बैठे करीब 200 अनुसूचित जनजाति के परिवार प्रशासन की इस कार्यवाही से बेघर हो गए हैं। प्रशासन ने पूरे गांव में बने सैकड़ो पक्के और कच्चे मकानों को बुलडोजर के जरिए जमींदोज करा दिया है। प्रशासन की इस बड़ी कार्रवाई के बाद करीब 2000 लोग बेघर हो गए हैं और अब उनके पास सर छुपाने तक के लिए आशियाना तक नहीं बचा है। जबकि इस गांव में रहने वाले सभी अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए सरकारी कॉलोनी,बिजली कनेक्शन से लेकर खड़ंजा तक प्रशासन ने डलवाया था।

UPCM के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में चल रहे एंटी भू-माफिया अभियान के बाद शहर में पूर्ववर्ती सरकारों वह उस के अधिकारियों के द्वारा संवेदनहीनता से अवैध बसी कॉलोनियों का नजारा इन तस्वीरों में गौर से देखिए यह उस सरकारी सिस्टम की कमी का नतीजा है। जिसने आज सैकड़ों की संख्या में बड़े-बूढ़े बच्चों और महिलाओं को खून के आंसू रोने को मजबूर कर दिया है। दरअसल यह तस्वीरें हैं, हरदोई के कोतवाली देहात के ओमनगर गांव की जहां प्रशासन अवैध कब्जेदारों के खिलाफ चलाए जा रहे अतिक्रमण अभियान के तहत बड़ी कार्रवाई करने में जुटा है। अनुसूचित जनजाति में कंजर बिरादरी का यह गांव 50 साल से अधिक समय से बसा हुआ था। जिला प्रशासन अब इस पूरे गांव को अवैध अतिक्रमण मानते हुए गांव में बने सैकड़ो कच्चे और पक्के मकान को जमींदोज करने की कार्यवाही में जुटा हुआ है। जिले के 8 थानों की फोर्स ,दो पुलिस क्षेत्राधिकारी महिला पुलिस से लेकर पुलिस तक के जवान उप जिलाधिकारी की अगुवाई में अवैध अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजरों के जरिये इस पूरे गांव का वजूद मिटाने में जुटे हुए हैं। प्रशासन का दावा है कि करीब साढ़े चार एकड़ सरकारी भूमि में यहां अवैध कब्जा था। जिसे हटाया जा रहा है। अवैध अतिक्रमण के इस अभियान के बाद बेघर हुए इस गांव के करीब 2000 प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर प्रशासन फिलहाल गोलमोल जवाब दे रहा है।

गांव में चल रही अवैध अतिक्रमण की इस कड़ी कार्रवाई से लेकर गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक सब हैरत में है क्योंकि उन्होंने कभी यह सोचा नहीं था कि मेहनत मजदूरी कर कर तिल-तिल जोड़कर बनाए गए आशियाने को अचानक एक दिन प्रशासन इस तरह गिरा देगा। गांव के लोगों का दावा है खुद प्रशासनिक नुमाइंदों ने इस गांव के रहने वाले 200 से अधिक परिवारों के करीब 2000 लोगों के वोटर कार्ड, राशन कार्ड और आधार कार्ड तक बनाए हैं यहां तक की इसी जमीन पर सरकारी सहायता के नाम पर सौ से अधिक इंदिरा आवास, प्रधानमंत्री आवास दिए गए। सरकार ने उनके गांव में बिजली और खड़ंजा भी लगाया उसके बाद अचानक एक ही दिन में उन्हें बेघर कर दिया गया। गांव के लोगो ने अधिकारियो से गुहार भी लगायी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

आपको बता दें कि पत्थरो को काट कर सिल बट्टे बनाकर बेचने वाले इस अनुसूचित जनजाति के लोगो ने मेहनत मजदूरी करके अपना आशियाना बनाया था। लोगो को खुद नहीं पता था कि कितने सालों से इस गांव में रह रहे है। प्रशासन की इस कार्यवाही के बाद सहमे यह लोग अब खुले आसमान के नीचे घर से अपना सामान निकाले सड़को पर ही डेरा जमाये खून के आंसू रो रहे हैं।

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