UPCM की योजना की हकीकत आई सामने, वारंटी पीरियड में छात्रों के 52 हजार जूते बेकार…..

उत्तर प्रदेश (अलीगढ़)।
UPCM सरकार की योजना को गाजियाबाद की कंपनी पावरटेक इलेक्ट्रो इंफ्रा प्रआइवेट लिमिटेड फर्म पलीता लगा रही है। अलीगढ़ में बेसिक शिक्षा के स्कूलों में छात्रों को दिये गये जूते तीन महीने भी नहीं चल सके। एक साल की वारंटी देने वाली गाजियाबाद की कंपनी पावरटेक इलेक्ट्रो इंफ्रा प्रआइवेट लिमिटेड फर्म ने जूते सप्लाई किये थे। स्कूली बच्चों के साथ एक तरह से भद्दा मजाक किया जा रहा है, एक साल की वारंटी पीरियड में ही जूते फट गये, सिलाई उधड़ गई, सोल निकल गये। वहीं कंपनी ने एक ही पैर के जूते भी भेज दिये। हांलाकि ये जूते टेस्टिंग लैब से जांच होकर ओके किये गये थे। अब कटे-फटे व एक ही पांव के शूज को बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों से एकत्र कर रहा है और वारंटी पीरियड में होने के चलते कंपनी से इसे रिप्लेसमेंट के लिए पत्र लिखा है।

सरकारी स्कूलों में छात्रों को बंटने वाले जूते एक साल भी पूरे नहीं हुए और जूते फटने लगे। सरकारी स्कूल में गरीब छात्रों को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार तमाम कोशिशे कर रही है। लेकिन जूतों की हालत पर शिक्षा विभाग के अधिकारी भी हैरान है। जिले में खराब हुए जूतों को एकत्र कर के कंपनी को वापस भेजने की तैयारी कर रहे हैं। अलीगढ़ जिले में 1776 प्राइमरी और 735 जूनियर हाई स्कूल में पढ़ने वाले करीब दो लाख 11 हजार बच्चों को सरकारी जूते का लाभ मिला। राज्य सरकार ने दो करोड़ 86 लाख रुपये का बजट दिया था। गाजियाबाद की फर्म पावरटेक इलेक्ट्रो इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका दिया गया। फर्म से दो लाख 11 हाजर 216 जूते खरीदे गये। लेकिन जब डिब्बे खोले गये तो घटिया माल देख कर शिक्षा विभाग के अधिकारी भी हैरान रह गये। बीएसए धीरेंद्र कुमार ने बताया कि गाजियाबाद की फर्म पावर ट्रक इलेक्ट्रो इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने यह जूते सप्लाई किए थे। एक सत्र की इन जूतों की वारंटी थी। लेकिन इस वारंटी पीरियड में यह जूते फट गए, सिलाई उधर गई है, इनका सोल निकल गया है। अब इन जूतों की संख्या निकलवाई जा रही है, यह खराब जूते ब्लाक संसाधन केन्द्र पर एकत्र कराए जा रहे हैं। इन जूतों को कंपनी के द्वारा रिपेयर कराया जाएगा, ऐसे जूतों की संख्या करीब 52 हजार है और यह यह जूते वारंटी पीरियड में खराब हुए हैं। बीएसए धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि शासन की तरफ से ही कंपनी को टेंडर मिला था।

 

शासन स्तर से ही फर्म को जिले में जूते अलॉट कराया गया था। स्कूलों में सप्लाई बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। वारंटी पीरियड में इन जूतों की खराबी पर शासन को लिखने के बारे में अभी सोचा जा रहा है। फिलहाल अभी कंपनी से जूतों के रिप्लेसमेंट करने की बात कही गई है। अगर जूते रिप्लेसमेंट से कंपनी मना करती है तब शासन को पत्र लिखा जाएगा। वहीं एक स्कूल की शिक्षिका से जब छात्रो के जूतों का हाल जाना तो दबी जुबान उन्होंने भी स्वीकारा कि क्वालिटी ठीक नहीं है। शिक्षिका का कहना है कि जूते दिए गए वह मजबूत नहीं है, कुछ तो टूट गए हैं कुछ बच्चों के अभी जूते चल रहे हैं। लेकिन एक साल जो जूतों की गारंटी थी वह तीन महीने भी नहीं चल पाए। स्कूल शिक्षिका का कहना है कि बच्चों के पैरों में जूते बहुत दिन तक नहीं चलेंगे।

सरकारी स्कूलों में जो सामान छात्रों को दिया जाता है उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं होती, चाहे ड्रेस हो या फिर बैग दिया जाएं। अब जूते भी साल भर नहीं चल पा रहे हैं। जूतों की टेस्टिंग लैब से ओके होकर आने के बाद भी तीन महीनों में ही जूते फट रहे है और अब विभाग उन खराब जूतों को एकत्र करा कर कंपनी से रिप्लेसमेंट की कवायद कर रहा है। कंपनी की लापरवाही ने विभाग का सिरदर्द बढ़ा दिया है।

अब देखना है कि UPCM सरकार के अधिकारी क्या स्कूल के बच्चों को नए जूते दे पाएंगे या फिर किसी घोटाले के चलते ऐसा कारनामा अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ जो सरकार के संज्ञान में नही है। अब यही कहा जा सकता है कि अधिकारी या कंपनी स्कूल के बच्चों को जूते देने में भी गोलमाल करने में जुट गये हैं। अगर समय रहते जाँच और कार्रवाई नहीं हुयी तो आगे भी अन्य जिलों में ऐसा ही कारनाम देखने को मिल सकते हैं।

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