प्रवर्तन जोन-7 : अभियंता प्रमोद पांडेय और विवेक पटेल के संरक्षण में बन रहे अवैध निर्माण, छोटी दुकान सील करने वाले जोनल को मिली फिर तैनाती

लखनऊ विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन 7 में एक से एक गजब अधिकारी तैनात है जहां नजराना नहीं मिलता, उसको एलडीए का लाल पट्टे का शिकार होना पड़ जाता है. और जहां मिठाई मिल जाती है वहां अभियंता अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखते हैं।
ऐसा ही मामला एक मामला प्रवर्तन ज़ोन-5 में आया था जहाँ पीड़ित रंजीत सिंह का आरोप है कि उन्हें LDA द्वारा आवंटित एक छोटे से दुकान पर वैध निर्माण के दौरान ज़ोनल अधिकारी माधवेश कुमार स्वयं मौके पर पहुंच कर दुकान को सील कर गए। सवाल ये उठता है कि जिस अफसर को क्षेत्र की अवैध बहुमंजिला बिल्डिंगों तक पहुंचने की फुर्सत नहीं, वो एक साधारण दुकान को सील करने स्वयं क्यों पहुंचे?
अब हैरानी की बात है कि 1 महीने बीतने के बाद इस जोनल को फिर से प्रवर्तन जोन 7 की कमान थमा दी गयी है. और साथ ही दिग्गज अभियंताओं को भी तैनात कर कर दिया गया है.
अवैध बता छोटी सी दुकान सील कर दी LDA के जोनल अफसर ने , रसूखदार की साजिश में फंसा आम नागरिक!
लम्बे समय से एलडीए में तैनात अभियंता प्रमोद पांडेय का बीते वर्ष गैर जनपद ट्रांसफर हो गया लेकिन जुगाड़ में माहिर इस अभियंता को फिर से लखनऊ में एलडीए प्रवर्तन जोन-7 में तैनात कर दिया गया.
सूत्रों से मिली जानकरी मुताबिक एलडीए प्रवर्तन जोन-7 के दुबग्गा, चौक और माल रोड पर अवैध निर्माण जोरो से जारी है. लेकिन क्षेत्र में बन रहे अवैध निर्माणों को अभियंता प्रमोद पांडेय और विवेक पटेल का खुला संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण जोनल भी हस्तक्षेप करने में पीछे है.
एलडीए अधिकारी निर्माणकर्ता के आगे नत-मस्तक हैं, और उनके सामने लाचार नज़र आ रहे हैं। ये अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं और एलडीए की प्रतिष्ठा को भी मिट्टी में मिला रहे हैं।
सुपरवाइजर क्षेत्र में दूत की तरह कर रहा काम
अवैध निर्माण को बढ़ावा देने में एलडीए प्रवर्तन जोन-7 के सुपरवाइजर का भी उतना योगदान है जितना क्षेत्र में तैनात अभियंता प्रमोद पांडेय और विवेक पटेल का है. अभियंता प्रमोद पांडेय के क्षेत्र में अवैध निर्माण बनते जा रहे है और उनको अवैध निर्माण दिखाई नहीं दे रहे है क्योंकि रसमलाई पहले ही उनके मुँह लग चुकी है. जिसके कारण अभियंता अभियंता प्रमोद पांडेय अवैध निर्माण के आस पास मक्खी की तरह नहीं मंडराते हैं. बाकि काम क्षेत्र में तैनात सुपरवाइजर कर रहा है.
क्या लखनऊ विकास प्रधिकरण में इन अभियंताओं के आलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है, जो बार बार इन्हीं अभियंताओं को क्षेत्र में तैनात कर अवैध निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है या फिर इसके पीछे कोई और गणित काम कर रही है.