विश्व अस्थमा दिवस 6 मई : अपनाये इन्हेलर, रहें स्वस्थ्य और निरोग – प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश

”आइये हम सभी मिलकर प्रत्येक अस्थमा रोगी को खुलकर साँस लेने में मदद करें।”

  • इनहेलेशन उपचार तक पहुँच सभी अस्थमा रोगियों की आवश्यकता है।”
  • दमा को अगर हराना है, साँसों को बचाना है, तो इन्हेलर अपनाना है।”
  • सांसे हैं अनमोल, रखे दूर अस्थमा रोग
अस्थमा की समस्या:-
  • अस्थमा विश्व और भारत दोनों के लिए एक सतत् स्वास्थ्य समस्या है।
  • विश्व में अनुमानतः 26.2 करोड़ लोग अस्थमा से प्रभावित हैं (WHO 2024)।
  • वैष्विक स्तर पर अस्थमा से प्रतिवर्ष लगभग 4.55 लाख लोगों की मृत्यु होती हैै (WHO 2024)।
  • अस्थमा रोग बच्चों एवं किशोरों में सबसे सामान्य दीर्घकालिक रोग है, जिससे बार‑बार अस्पताल में भर्ती होना और विद्यालय में अनुपस्थितियाँ होना सम्मिलित हैं।
  • भारत में अनुमानतः 2–5 % जनसंख्या अस्थमा से ग्रस्त है।
  • महिलाओं में अस्थमा की व्यापकता पुरुषों से अधिक है।
  • वैश्विक अस्थमा मामलों के लगभग 13 % भारत में पाये जाते हैं जिससे स्वास्थ्य‑व्यवस्था पर भारी बोझ पड़ता है।
  • 2021 में अस्थमा प्रबंधन पर वैश्विक स्तर पर लगभग ₹ 68,300 करोड़ का खर्च आया था।
  • अनुमानतः भारत में 3.4 करोड़ से अधिक लोग अस्थमा ग्रसित हैं।
  • अस्थमा‑सम्बंधित वैश्विक मौतों का 46 % हिस्सा भारत में होता है, जो समुचित निदान एवं उपचार तक मरीजों की पहुंच ना होना दर्शाता है।
  • खराब वायु गुणवत्ता भारत में अस्थमा की समस्या का एक प्रमुख कारक है।
  • जागरूकता की कमी और अल्प‑निदान एक बड़ी चुनौती है एक अध्ययन के अनुसार केवल 5 ः भारतीय अस्थमा रोगियों का सही निदान व उपचार हो पाता है।
  • एलर्जी एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है और इसकी व्यापकता लगातार बढ़ रही है।
  • विश्व एलर्जी संगठन के अनुसार, विश्व की 30दृ40 ः जनसंख्या किसी न किसी एलर्जी से प्रभावित है।
  • एलर्जिक राइनाइटिस वयस्कों में 10दृ30 % तथा बच्चों में 40 % तक को प्रभावित करता है।
  • खाद्य एलर्जी विश्व स्तर पर 6दृ8 % बच्चों और 2दृ4 % वयस्कों में पाई जाती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में एलर्जी‑रोधी दवाओं पर वार्षिक खर्च 5 अमेरिकी अरब डॉलर (लगभग ₹ 4,000 करोड़) से अधिक है।
अस्थमा के प्रमुख लक्षणः
  • घरघराहट (छाती से सीटीध्घर्र की ध्वनि)।
  • साँस फूलना या साँस लेने में कठिनाई।
  • विशेषकर रात में या सुबह होने वाली खांसी।
  • छाती में जकड़न, दर्द या घुटन‑सा महसूस होना।
ट्रिगरः एलर्जेन, संक्रमण, वायु‑प्रदूषण, ठंडी हवा, शारीरिक व्यायाम, मानसिक तनाव आदि अस्थमा के ट्रिगर (बढाने वाले तत्व) का कार्य करते है
अस्थमा लाइलाज बीमारी नही है, उचित उपचार व जीवन‑शैली में बदलाव से इसे पूरी तरह नियंत्रित कर सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
इस वर्ष की थीमः MAKE INHALED TREATMENTS ACCESSIBLE FOR ALL
ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) ने विश्व अस्थमा दिवस 2025 की थीम “इनहेलेशन उपचार सभी के लिए सुलभ बनाएं” निर्धारित की है। यह थीम विशेष रूप से इनहेलेड कॉर्टिको‑स्टेरॉयड्स (ICS) जैसी प्रभावी औषधियों को सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करती है।
भारत में, यद्यपि ICS को आवश्यक औषधि सूची में शामिल किया गया है, फिर भी जागरूकता की कमी, अधिक व्यय एवं आपूर्ति‑श्रृंखला समस्याओं के कारण इनका उपयोग अपेक्षाकृत कम है। इन चुनौतियों का समाधान अस्थमा‑संबंधित समस्याओं एवं मृत्यु दर को घटाने के लिए अत्यावश्यक है।
अस्थमा प्रबंधनः ;बेहतर परिणामों के लिए रणनीतियाँ:-
  • कंट्रोलर दवाएँः एयरवे सूजन कम करने हेतु नियमित रूप से इनहेलेड कॉर्टिको‑स्टेरॉयड्स का उपयोग किया जाता है। 
  • रिलीवर दवाएँः तुरंत लक्षण से राहत पाने के लिए ब्रोंकोडाएलेटर्स का उपयोग किया जाता है।
  • ट्रिगर से बचावः व्यक्तिगत ट्रिगर पहचान कर न्यूनतम संपर्क करके अस्थमा को बढाने से रोका जा सकता है। 
  • फेनोटाइप की पहचानः प्रत्येक रोगी भिन्न होता हैय वैयक्तिकृत उपचार योजना आवश्यक होती है। 
  • नियमित फॉलो‑अपः चिकित्सकीय निगरानी व योजना में समय‑समय पर संशोधन से अस्थमा का समुचित इलाज किया जाता है।
  • रोगी शिक्षाः अस्थमा एवं प्रबंधन संबंधी जानकारी देकर रोगी को सशक्त बनाना।
  • उचित प्रबंधन से अस्थमा रोगी पूर्णतः सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
आगे की राहः अनुसंधान एवं रोकथाम:-
  •  किफायती इनहेलेशन दवाओं तक पहुँच सुलभ कराना।
  •  कम‑लागत, उच्च‑दक्षता वाले इनहेलर विकसित करना।
  •  विशेषकर वंचित क्षेत्रों में जन‑जागरूकता अभियान चलाना।
  •  डिजिटल स्वास्थ्य साधनों का उपयोग कर निगरानी एवं सहायता।
  •  वायु‑प्रदूषण में कमी हेतु पर्यावरणीय नीतियों का अनुपालन।
गंभीर अस्थमा के लिए बायोलॉजिक चिकित्सा, आनुवंशिक जोखिम चिन्ह एवं वैयक्तिकृत उपचार के क्षेत्र में चल रहे अनुसंधान उत्साहजनक परिणाम दे रहे हैं।
पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन द्वारा अस्थमा के उपचार सम्बन्धित प्रतिबद्धता:-
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एलर्जी एवं अस्थमा की समग्र देख‑रेख हेतु समर्पित है। अत्याधुनिक सुविधाओं एवं विशेषज्ञ टीम के साथ, विभाग सटीक निदान के लिए परिष्कृत पल्मोनरी फंक्शन जांच तथा स्किन प्रिक टेस्ट सहित विभिन्न एलर्जी परीक्षण उपलब्ध कराता है। गंभीर अथवा व्यापक अस्थमा में बायोलॉजिक थेरेपी एवं इम्यूनोथेरेपी का विशेषज्ञ मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाता है, जिससे प्रत्येक रोगी के लिए वैयक्तिकृत एवं प्रभावी उपचार सुनिश्चित हो।
इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश, विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद, प्रोफेसर रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, एराज लखनऊ मेडिकल यूनिवर्सिटी, प्रो0 आर0ए0एस0 कुषवाहा, प्रोफेसर, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, के0जी0एम0यू0 लखनऊ प्रो0 राजेष कुमार प्रोफेसर, पीडियाट्रिक्स विभाग, के0जी0एम0यू0 लखनऊ डा0 सचिन कुमार, डा0 मो0 आरिफ, डा0 मृत्युंजय, आदि लोग उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button
btnimage