बदल रही है गो सेवा आयोग की दिशाः अब खेती को व्यवसाय से और गाय को परिवार एवं कृषि से जोड़ा जाएगा

उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त की अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में पद्मश्री डॉ भारत भूषण व्यागी, डॉ राजपाल सिंह (प्राचार्य, अमर सिंह महाविद्यालय), एवं प्रोफेसर राजपाल सिंह (कृषि महाविद्यालय, लखाकटी) सहित अनेक कृषि, गोपालन एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों ने सहभागिता की। बैठक का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, गौशालाओं के प्रभावी प्रबंधन और गो-आधारित कृषि मॉडल पर गहन विचार-विमर्श करना था।

बैठक में अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त ने कहा कि गाय केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि हमारे परिवार, संस्कृति और कृषि का अभिन्न हिस्सा है। गो सेवा आयोग अब खेती को व्यवसाय से और गाय को उपयोगिता के साथ जोड़ने की दिशा में एक नए आयाम की ओर अग्रसर है। हम युवाओं को रोजगार, समाज को स्वास्थ्य और किसानों को समृद्धि देने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
बैठक में पद्मश्री डॉ. भारत भूषण त्यागी जी ने कहा कि यदि गाय आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाया जाए तो हम न केवल रोगों से बच सकते हैं बल्कि टिकाऊ और समृद्ध कृषि व्यवस्था भी स्थापित कर सकते हैं। शाना (बुलंदशहर) में स्थित उनकी संस्था ‘‘कृषि तीर्थ’’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि वहां बिना किसी सरकारी सहायता के गौपालन, मधुमक्खी पालन, जैविक उत्पादन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व ब्रांडिंग जैसे कार्य सफलतापूर्वक संचालित किए जा रहे हैं। हाल ही में जर्मनी की एक विशेषज्ञ टीम ने इस संस्थान का भ्रमण कर इस समन्वित प्रणाली की सराहना की।

अन्य वक्ताओं ने सुझाव दिया कि गौशालाओं को उत्पाद-आधारित स्वरूप में विकसित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए। यह भी सुझाव रखा गया कि कृषक केवल उत्पादक नहीं, उद्यमी भी बनें। वे बाज़ार की मांग के अनुसार गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार करें, उनकी प्रोसेसिंग व पैकेजिंग कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं। साथ ही, सहकारिता के साथ कार्य करते हुए सरकारी योजनाओं के समन्वय से आगे बढ़े।

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