स्व0 डी0पी0 बोरा सेवा समिति के माध्यम से 100 से अधिक सेवा केन्द्र पहले से संचालित: सीएम योगी

मुख्यमंत्री महर्षि वाल्मीकि एवं भक्त मीराबाई की जयन्ती तथा स्व0 डी0पी0 बोरा की 85वीं जयन्ती पर आयोजित ‘डी0बी0 बोरा स्मृति व्याख्यानमाला’ में सम्मिलित हुए

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वर्गीय डी0पी0 बोरा जी की प्रतिमा के अनावरण सहित अनेक कार्यक्रम सम्पन्न हुए हैं। अलग-अलग स्थानों पर सेवा शक्ति केन्द्रों का उद्घाटन हुआ है। 05 क्षेत्रों-शिक्षा, साहित्य, स्वास्थ्य, संगीत तथा समाज सेवा में अपनी मेहनत और सामर्थ्य से समाज को एक नई दिशा देने वाली नारी शक्ति का सम्मान भी किया गया है। सेवा शक्ति केन्द्रों को डी0पी0 बोरा स्मृति समिति के माध्यम से सहयोग किया जाता है। यह केन्द्र नारी शक्ति और स्वावलम्बन का एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। मिशन शक्ति के अन्तर्गत प्रदेश सरकार द्वारा जो कार्यक्रम चल रहे हैं, उसी श्रृंखला में आज हम यहां एकत्र हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने पं0 राम प्रसाद बिस्मिल सभागार, इंजीनियरिंग कॉलेज (आई0ई0टी0) में आदि कवि महर्षि वाल्मीकि एवं भक्त मीराबाई की जयन्ती तथा स्व0 डी0पी0 बोरा की 85वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘डी0बी0 बोरा स्मृति व्याख्यानमाला’ के अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने आदि कवि महर्षि वाल्मीकि एवं भक्त मीराबाई के चित्र पर पुष्प अर्पित किए तथा स्व0 डी0पी0 बोरा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री जी ने 15 सेवा शक्ति केन्द्रों (सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र) का वर्चुअल माध्यम से शुभारम्भ किया। उन्होंने स्व0 डी0पी0 बोरा की प्रतिमा का वर्चुअल माध्यम से अनावरण किया। मुख्यमंत्री जी ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपना विशेष योगदान देने वाली मातृ शक्ति का सम्मान भी किया। कार्यक्रम में प्रख्यात कवि श्री सर्वेश अस्थाना ने भी अपनी प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेशवासियों को शरद पूर्णिमा की पावन बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज शरद पूर्णिमा का पावन पर्व है। पंचांग के अनुसार आज भगवान वाल्मीकि की पावन जयंती की तिथि भी है। परम कृष्ण भक्त मीराबाई का पावन जन्मदिन भी आज है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आज ही के दिन पूर्व विधायक और एक संघर्षशील नेता श्री डी0पी0 बोरा जी की भी पावन जयंती है। मुख्यमंत्री ने महर्षि वाल्मीकि और भक्त मीराबाई की स्मृतियों को नमन करते हुए पूर्व विधायक श्री डी0पी0 बोरा जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ0 नीरज बोरा के कार्य उनके पिता स्व0 डी0पी0 बोरा जी की याद दिलाते हैं। स्व0 डी0पी0 बोरा लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष, एक संघर्षशील नेता तथा समाज के दलित, वंचित और पीड़ितों की आवाज थे। आज से 25-30 वर्ष पूर्व लखनऊ की छवि अव्यवस्था और अराजकता थी। ऐसी परिस्थितियों में एक युवा नेता संघर्ष के पथ पर चलकर अपना मार्ग प्रशस्त करता है और यहां के गरीबों, व्यापारियों, दलितों, वंचितों के लिए एक राह दिखाता है। स्व0 डी0पी0 बोरा ने उत्तर प्रदेश विधान सभा में विधायक के रूप में ऐसे लोगों की आवाज उठायी। स्व0 डी0पी0 बोरा के कार्यों के अनेक उदाहरण आज भी सुनायी देते हैं। स्व0 डी0पी0 बोरा अपने परिवार की देखभाल करते हुए समाज के पीड़ितों तथा शोषितों को उनका अधिकार देने के लिए लगातार कार्य करते रहे। यही प्रेरणा हमें अपने महापुरुषों से प्राप्त होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यहां सेवा शक्ति केन्द्रों का शुभारम्भ किया गया है। स्व0 डी0पी0 बोरा सेवा समिति के माध्यम से 100 से अधिक ऐसे सेवा केन्द्र पहले से संचालित हैं। परम कृष्ण भक्त मीराबाई की जयन्ती के अवसर पर सेवा शक्ति केन्द्रों का शुभारम्भ एक अच्छा कार्य है। मीराबाई मेवाड़ की महारानी थी। उन्होंने सामाजिक समरसता का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। मीराबाई ने सद्गुरु रविदास जी महाराज को अपना गुरु माना। अगर वह केवल मेवाड़ की महारानी रहतीं, तो उन्हें इतना यश नहीं प्राप्त होता, जो उन्हें परम कृष्ण भक्त बनकर प्राप्त हुआ। कृष्ण भक्ति ने उन्हें सदैव के लिए अमर कर दिया और हर भारतीय के मन में उनके प्रति आस्था का भाव जाग्रत कर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यक्रम में अपने पूर्वजों और अपनी विरासत का सम्मान कैसे किया जाता है, इसके बारे में प्रख्यात कवि श्री सर्वेश अस्थाना ने अपनी कविता के माध्यम से प्रस्तुति दी है। समाज की संवेदना को जाग्रत करने के लिए उन्होंने सहज और सरल भाव से हमारा ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि उन्होंने अपनी कविता में भगवान श्रीराम का उदाहरण दिया है, लेकिन यह उदाहरण हमारे पूर्वजों के भी हो सकते हैं। श्री अस्थाना ने नारी गरिमा, सुरक्षा और स्वावलम्बन से जुड़े मुद्दों को उठाया। दहेज जैसी कुप्रथा का अभी तक हम समाधान नहीं निकाल पाए। इस ओर भी उन्होंने समाज का ध्यान आकर्षित किया। एक कवि की लेखनी जब चलती है तो वह समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाती है। आदिकवि की जयन्ती पर एक कवि सामाजिक जागरूकता की नई प्रेरणा प्रदान कर रहा है। यह प्रेरणा समाज को एक नई राह भी दिखाती है। कवि की लेखनी जब भी चलती है, तो वह उन विसंगतियों की ओर हमारा ध्यान अवश्य आकर्षित करती है, जिससे समाज ग्रसित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक साहित्यकार की लेखनी सत्ता के समर्थन की मोहताज नहीं होती, बल्कि उसकी लेखनी समाज को एक नई दिशा देती है। उसके विचार समाज का दर्पण होता है। यह समाज को आगे बढ़ने के लिए मूल्यों और आदर्शों के प्रति आग्रही बनाता है। यही कार्य कभी महर्षि वाल्मीकि ने तत्कालीन समाज की भावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र को हमारे सामने रखा। उन्होंने भगवान श्रीराम को धर्म का दूसरा रूप बताया। रामो विग्रहवान् धर्मः। उन्होंने भगवान श्रीराम के चरित्र के माध्यम से समाज की आंखों को खोलने का कार्य किया। हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म के जो भी गुण बताए हैं, शास्त्रों से अलग भगवान श्रीराम का चरित्र इसका मूर्त रूप है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने अपने आदि काव्य रामायण के माध्यम से उस समय की सामाजिक, भौगोलिक, धार्मिक परिस्थितियों और अन्य घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है। उनका यह कार्य अद्भुत है। महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण दुनिया का पहला ऐसा महाकाव्य है, जो बोलचाल की भाषा में रचा गया और अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। यह व्यावहारिक संस्कृत भाषा में रचा गया महाकाव्य है। महर्षि वाल्मीकि ने उस समय की वनस्पतियों, जीव-जन्तुओं सहित विभिन्न परिस्थितियों का बहुत रोचक वर्णन किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्यतः लोग रामायण को एक परिवार के परिप्रेक्ष्य में ही देखते हैं। रामायण में एक मनुष्य का मनुष्य के साथ, एक पिता का पुत्र के साथ या पुत्र का पिता के साथ, पति और पत्नी के सम्बन्ध, गुरु और शिष्य के सम्बन्ध तथा राजा और प्रजा के सम्बन्ध के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है। लेकिन एक नागरिक के रूप में हमारा अपनी वन सम्पदा के प्रति क्या दायित्व है, इसका उल्लेख भी रामायण करती है। जब माता जानकी का अपहरण हुआ और भगवान श्रीराम उनकी खोज में वनों में भटकते हैं, तो वे वनों, वहां के पशु-पक्षियों से भी प्रश्न पूछते हैं। हमें यह याद रखना होगा कि रामायण के पहले बलिदानी पक्षी गिद्धराज जटायु थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भगवान श्रीराम को उस समय की सबसे बड़े आतंक की ताकत के खिलाफ युद्ध करना था, तो उनकी सेना अयोध्या या जनकपुर से नहीं आयी थी, बल्कि गिरिवासी और वनवासियों ने भगवान श्रीराम के साथ मिलकर सेना खड़ी की थी। उस समय 100 योजन के सेतु बंध का निर्माण वानर और भालुओं की मदद से भगवान श्रीराम ने समुद्र में कर दिया था। समुद्र के इस पार से उस पार सेना का जाना एक कल्पना थी, लेकिन जब समाज का संगठन हुआ, तो उसकी परिणति सेतु बंध के निर्माण के रूप में सामने आयी। असम्भव दिखने वाला कार्य भी सम्भव हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में श्रीरामलला के विराजमान होने के उपरान्त हमारा यह प्रयास है कि उस समय की वनस्पतियों को अयोध्या के मार्ग पर स्थापित किया जाए। इस दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। यह एक बड़ा कार्य होगा। अनेक वनस्पतियां ऐसी होंगी, जो लुप्तप्राय होंगी। लेकिन हम प्रयास करेंगे और रामायण काल फिर से आएगा। राम राज्य की स्थापना के लिए डबल इंजन सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, सांसद डॉ0 दिनेश शर्मा, बृजलाल, विधायक डॉ0 नीरज बोरा, योगेश शुक्ल, ओ0पी0 श्रीवास्तव, अमरेश कुमार,  मुकेश शर्मा,  राम चन्द्र सिंह प्रधान, इंजी0 अवनीश कुमार सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, ए0के0टी0यू0 के कुलपति प्रो0 जे0पी0 पाण्डेय तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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