उत्तर प्रदेश न्यायालय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ में नेतृत्व संकट: प्रांतीय महामंत्री ने चुनाव को किया रद्द

उत्तर प्रदेश के जनपद न्यायालयों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के प्रांतीय संगठन “अंजुमन हिमायत चपरासियान उत्तर प्रदेश” में नेतृत्व को लेकर गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है। संगठन के प्रांतीय महामंत्री श्याम सुंदर झा ने दिनांक 20 जुलाई 2025 को प्रतापगढ़ में संपन्न हुए चुनाव को रद्द कर दिया है। उनका आरोप है कि यह चुनाव संगठन की बायलॉज (संविधान) के नियमों का उल्लंघन कर और अनुचित ढंग से कराया गया।
उठाए गए प्रमुख बिंदु:
1. संविधान का उल्लंघन:
महामंत्री झा के अनुसार, प्रांतीय अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव ने अन्य पदाधिकारियों की सहमति के बिना ही चुनाव की घोषणा कर दी थी। नियमानुसार, चुनाव प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व प्रदेश बॉडी को भंग करने का पत्र जारी किया जाना आवश्यक था, जो नहीं किया गया।
2. चुनाव प्रक्रिया में अनियमितता:
प्रतापगढ़ के जिला न्यायालय से न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति हेतु अनुरोध किया गया था, जो अस्वीकृत हो गया। इसके बजाय एक निजी स्थान — मानसरोवर मैरिज हॉल, कटरा चौराहा, प्रतापगढ़ — में चुनाव कराए गए।
3. चुनाव अधिकारियों पर दबाव:
झा द्वारा लिखे गए पत्र में दावा किया गया है कि मुख्य चुनाव अधिकारी ओतम गिरि और सहायक अधिकारी राहुल शर्मा तथा अभिनव सिंह ने दबाव में आकर नियमों के विपरीत चुनाव संपन्न कराए।
4. महामंत्री के अधिकारों का अतिक्रमण:
श्याम सुंदर झा ने कहा कि संगठन के संविधान के अनुसार, प्रत्येक पत्राचार और कार्यवाही का अधिकार प्रांतीय महामंत्री के पास होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने इस अधिकार की अवहेलना करते हुए चुनाव कराए।
⚖️ चुनाव को निरस्त और पदाधिकारियों को शून्य घोषित किया गया:
श्याम सुंदर झा ने उक्त विवाद के आधार पर 20 जुलाई 2025 को हुए चुनाव तथा उसमें चुने गए सभी पदाधिकारियों को निष्क्रिय व शून्य घोषित कर दिया है। साथ ही, निर्णय होने तक प्रांतीय उपाध्यक्ष को कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
🧾 उच्च न्यायालय से जांच की मांग:
महामंत्री ने इस विषय में एक पत्र मुख्य न्यायमूर्ति, उच्च न्यायालय इलाहाबाद को प्रेषित किया है, जिसमें:
चुनाव प्रक्रिया में प्रयुक्त मतपत्रों की जांच,
संगठन के बायलॉज की समीक्षा,
और इस संबंध में उचित विधिक कार्यवाही की मांग की गई है।
इस मामले में, प्रांतीय महामंत्री ने उच्च न्यायालय से चुनाव से संबंधित मत पत्रों और बायलॉज की जांच करने और उचित कार्यवाही करने का अनुरोध किया है। पत्र की प्रतिलिपि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी गई है।
यह विवाद न केवल संगठन के आंतरिक लोकतंत्र पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि यदि समय रहते हस्तक्षेप न हुआ, तो यह संगठन के विभाजन और कर्मचारियों के हितों के विघटन की ओर बढ़ सकता है।