UPCM क्या सौभाग्य योजना सौभाग्य वालों के लिए?

उत्तर प्रदेश।
UPCM सरकार ने प्रदेश में गरीबों को मुफ्त बिजली योजना देने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गयी सौभाग्य योजना के तहत 16,230 करोड़ों रुपए का धन आवंटित किया था लेकिन अब यह योजना बिजली विभाग के लिए मात्र कमाई का जरिया बनती जा रही है। बात हो रही है राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले की। जहां शहर से सटे फैजुल्लागंज के मजरेपुर गांव में सौभाग्य योजना के तहत फ्री-बिजली कनेक्शन बांटने के नाम पर बिजली कर्मचारियों ने गरीब जनता से प्रति कनेक्शन के लिए हजार रुपए तक वसूल लिए लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि इसके बावजूद इन गरीबों के घर में बिजली नहीं आ पाई।

इस मामले की पड़ताल करने जब UPCM NEWS की टीम मौके पर पहुंची तो लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई। 85 साल के बुजुर्ग से जब बात की गयी तो वह बुजुर्ग फूट-फूट कर रो पड़ा और अपनी आपबीती सुनाने लगा। शायद यह बुजुर्ग हमें कोई एक बड़ा अफसर समझ रहा था भला इस गरीब को क्या मालूम था कि हम लोग मीडिया वाले हैं? बुजुर्ग को हमारी टीम देखते हुए लगा कि आखिर कोई तो आया हमारी बात सुनने। बुजुर्ग ने रो-रो कर बताया कि उसकी दोनों आंखें खराब हैं और रात को तो उसके लिए भी दुनिया पूरी अंधकारमय में हो जाती है।

प्रधानमंत्री की इस योजना से शायद उसे लगा था कि शायद उसकी जिंदगी में भी उजाला होगा पर उसे क्या मालूम था कि बिजली विभाग के कर्मचारियों को शायद गरीब और अनपढ़ लोग कमाई का जरिया नजर आते हैं और इसी के मद्देनजर इस गरीब से बिजली विभाग के कर्मचारियों ने साढ़े 900 रूपये झटक लिए। उसके बाद भी यह बूढ़ा आदमी अपने हाथों में उनके द्वारा दिया गया मीटर लिए इस उम्मीद में बैठा है कि शायद उसके घर में भी उजाला हो, लेकिन बिजली विभाग के कर्मचारियों ने उससे 500 रूपए की और डिमांड की। यह गरीब उन्हें 500 कहां से देता जहां उसके पास दो वक्त की रोटी ठीक से खाने के लिए भी नहीं थी।

वहीं दूसरी ओर एक महिला मेहरूनिशा जो लगभग 75 साल की है और उनके तो आगे पीछे भी कोई नहीं है। उम्र के इस दौर में उनका हाथ थामने वाले उनके शौहर भी अब इस दुनिया में नहीं रहे। देखते ही आंखों से आंसू बह पड़े और उसने हमसे चीखक्र कहा कि साहब मैं बेवा औरत हूं और मुझसे इन बिजली कर्मचारियों ने साढ़े 900 रुपये ले लिए और आज डेढ़ महीना होने को है कोई दुबारा झांकने तक नहीं आया। साथ ही 500 रुपये और मांगने का आरोप लगाया जो एक 85 साल के बुजुर्ग ने लगाया था।

मामले में अधिकारियों ने दिया गोलमोल जवाब
इस मामले पर जब संबंधित अधिकारी अमन तिवारी (SDO) से बात की गई तो उन्होंने वही पुराना रटा-रटाया अधिकारियों वाला जवाब दे डाला। उन्होंने कहा कि अब तक उनके पास ऐसी कोई जानकारी/शिकायत नहीं आई है और साथ ही साथ आश्वासन भी दिया कि अगर ऐसा कुछ हुआ है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। साथ ही FIR तक की दर्ज कराने की प्रक्रिया की जाएगी।

 

प्रधानमंत्री की सौभाग्य योजना कागजी पन्नों में दबकर और कार्यालयों में रखे दस्तावेजों में ही दबी पड़ी है लेकिन अधिकारियों के पीठ-पीछे कर्मचारी सौभाग्य योजनाओं को भी कमाई का जरिया बना चुके हैं। अब देखना है कि UPCM प्रधानमन्त्री द्वारा शुरू की गयी सौभाग्य योजना का लाभ किस सौभाग्याजन को मिलेगा या फिर इस योजना का लाभ केवल सौभाग्यशाली भ्रष्टाचारियों को ही मिलेगा? ये तो आने वाला समय बतायेगा।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर राजधानी लखनऊ से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर इस तरह की अनियमितताएं होती हैं तो प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में क्या हश्र होता होगा? इसी तरह गरीबों के लिए चलने वाली प्रत्येक योजना को सरकारी कर्मचारी ऐसा ही पलीता लगाते रहेंगे, तो कैसे प्रदेश की विकास की गाड़ी को आगे चलेगी?

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