मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-

आई0आई0टी0, कानपुर के अन्तर्गत 500 शैय्यायुक्त सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय के साथ स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एण्ड टेक्नोलॉजी की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई0आई0टी0), कानपुर के अन्तर्गत 500 शैय्यायुक्त सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय के साथ स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एण्ड टेक्नोलॉजी (एस0एम0आर0टी0) की स्थापना किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मंत्रिपरिषद द्वारा यह स्वीकृति प्रदेश सरकार की शर्तां/प्रतिबन्धों पर आई0आई0टी0 कानपुर द्वारा व्यक्त की गयी सहमति, परियोजना के वित्त पोषण की उपलब्ध करायी गयी अद्यावधिक स्थिति एवं कानपुर शहर में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान की स्थापना की आवश्यकता एवं औचित्य के दृष्टिगत प्रदान की गयी है।
मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाने वाला वित्त पोषण 50 करोड़ रुपये (05 वर्षां तक देय) एकल होगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 से 10 करोड़ रुपये की धनराशि आगामी 05 वर्षां तक आई0आई0टी0 कानपुर को देय होगी। 500 शैय्यायुक्त सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय के साथ स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एण्ड टेक्नोलॉजी के संचालन व्यय का पूर्ण दायित्व आई0आई0टी0 कानपुर का होगा। संस्थान के संचालन एवं उसके रख-रखाव हेतु गठित शासी निकाय में उत्तर प्रदेश सरकार का एक सदस्य नामित होगा। आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित निर्धन वर्ग के मरीजों को इनके लिए निर्धारित पैकेज दरों पर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
ज्ञातव्य है कि देश में चिकित्सा सम्बन्धी असाध्य आवश्यकताओं के तकनीकी समाधान की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए एवं स्वास्थ्य देख-रेख सुविधाओं के तकनीकी समाधान हेतु संस्थान द्वारा अपनी तरह का एक मेडिकल स्कूल ‘स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एण्ड टैक्नोलॉजी (एस0एम0आर0टी0)’ के नाम से स्थापित करने की योजना उत्तर प्रदेश शासन को उपलब्ध करायी गयी, जिसके अन्तर्गत अन्तर्गत 500 शैय्यायुक्त सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय भी खोला जाना प्रस्तावित है।
आई0आई0टी0, कानपुर में स्थापित होने वाले एस0एम0आर0टी0 में ‘ऑनकोलॉजी (नैदानिक, शल्य चिकित्सा और विकिरण), कार्डियोलॉजी, कार्डियोवस्कुलर और थोरेसिक सर्जरी, तंत्रिका-विज्ञान, न्यूरोसर्जरी, गैस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी, नेफ्रोलॉजी एवं यूरोलॉजी’ सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम संचालित किया जाना प्रस्तावित है।

महाकुम्भ मेला-2025, प्रयागराज हेतु आवश्यक 79,050 नग साल स्लीपर एवं 8,766 नग साल एजिंग सम्बन्धी आगणन धनराशि 23682.95 लाख रु0 की स्वीकृति निर्गत किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने महाकुम्भ मेला-2025, प्रयागराज हेतु आवश्यक 79,050 नग साल स्लीपर एवं 8,766 नग साल एजिंग सम्बन्धी आगणन धनराशि 23682.95 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रकरण में भविष्य में आवश्यक परिवर्तन करने हेतु नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने उपरोक्तानुसार वित्त (आय-व्ययक) अनुभाग-2 के शासनादेश दिनांक 26 अगस्त, 2014 के प्रस्तर-5 में प्राविधानित व्यवस्था के आलोक में महाकुम्भ मेला-2025, प्रयागराज हेतु आवश्यक 79,050 नग साल स्लीपर एवं 8,766 नग साल एजिंग वन निगमों से क्रय किये जाने सम्बन्धी आगणन धनराशि 23682.95 लाख रुपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि जनपद प्रयागराज में गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पवित्र संगम पर प्रत्येक वर्ष माघ मेला, प्रति 06 वर्ष के अन्तराल पर कुम्भ-मेला एवं प्रति 12 वर्ष के अन्तराल पर महाकुम्भ मेला का आयोजन होता है। महाकुम्भ मेला-2025 में लाखों की संख्या में श्रद्धालु कल्पवास (एक माह से अधिक समय तक) एवं देश-विदेश से आये करोड़ों की संख्या में तीर्थयात्री/श्रद्धालु गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करेंगे। महाकुम्भ मेला-2025 में श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन सुविधा प्रदान करने हेतु कार्यदायी संस्था-लोक निर्माण विभाग द्वारा साल स्लीपर एवं साल एजिंग को क्रय किया जाना प्रस्तावित है।
महाकुम्भ मेला-2025, प्रयागराज की तैयारी हेतु कराये जाने वाले कार्यों/परियोजनाओं की समीक्षा, सम्बन्धित परियोजनाओं/प्रस्तावों की आवश्यकता, अपरिहार्यता एवं औचित्य का परीक्षण कर सैद्धान्तिक अनुमोदन/संस्तुति प्रदान किये जाने हेतु मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में गठित शीर्ष (एपेक्स) समिति की बैठक दिनांक 05 जनवरी, 2024 में कार्यदायी संस्था-लोक निर्माण विभाग (सेतु) द्वारा महाकुम्भ-2025 में कराये जाने वाले कार्य साल-स्लीपर एवं साल-एजिंग की आपूर्ति के कार्य हेतु 23682.95 लाख रुपये की सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान की गयी है।
उक्त प्रायोजनान्तर्गत महाकुम्भ मेला-2025, प्रयागराज हेतु मेला ले-आउट प्लान के प्रथम ड्राफ्ट के अनुसार पाण्टून पुलों, मिनी पाण्टून एवं पाईल पुलिया में बढ़ोत्तरी के कारण 30 पाण्टून पुल, 12 मिनी पाण्टून पुल एवं 428.4 स्पॉन पाईल पुलिया का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। जिसके सापेक्ष 99,223 नग साल स्लीपर एवं 10,874 नग साल एजिंग की आवश्यकता होगी, जिसके सापेक्ष अन्य जनपदों में प्रेषित व स्टोर में उपलब्ध साल स्लीपर एवं साल एजिंग का समायोजन करते हुए अवशेष 79,050 नग साल स्लीपर एवं 8,766 नग साल एजिंग की आपूर्ति उत्तर प्रदेश वन निगम से एवं उनके द्वारा गठित प्रकाष्ठ परीक्षण समिति में परीक्षणोपरान्त अन्य प्रदेश के वन निगमों से सीधे लिया जाना प्रस्तावित है, जिस हेतु लगभग 23682.95 लाख रुपये की स्वीकृति प्रस्तावित है। परीक्षणोपरान्त व्यय वित्त समिति द्वारा प्रायोजना की लागत धनराशि 23682.95 लाख रुपये के सापेक्ष धनराशि 23682.95 लाख रुपये आंकलित/अनुमोदित की गयी है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के अन्तर्गत महाकुम्भ-2025, प्रयागराज के आयोजन हेतु नगर विकास विभाग के अनुदान संख्या-37 के पूँजी लेखा के शीर्षक-4070-अन्य प्रशासनिक सेवाओं पर पूंजीगत परिव्यय-800-अन्य व्यय-07-महाकुम्भ मेला-2025, प्रयागराज-24 वृहत् निर्माण कार्य के अन्तर्गत कुल धनराशि 2500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है। उक्त प्रायोजना का वित्तीय पोषण इसी मद से किया जाना प्रस्तावित है।

उ0प्र0 राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद का नाम परिवर्तित कर गुरु जम्भेश्वर राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद का नाम परिवर्तित कर गुरु जम्भेश्वर राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद किए जाने के प्रस्ताव तथा तद्नुसार उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 व उसकी अनूसूची में यथास्थान संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश 2024 को प्रख्यापित कराये जाने एवं उसके प्रतिस्थानी विधेयक को विचारण एवं पारण हेतु राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार द्वारा गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा दिये जाने हेतु प्रत्येक मण्डल में एक राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 में संशोधन करते हुये उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद की स्थापना हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2023 प्रख्यापित किया जा चुका है।

3×660 मे0वा0 घाटमपुर तापीय विद्युत परियोजना की पुनरीक्षित लागत 19,406.12 करोड़ रु0 अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (उ0नि0लि0) द्वारा संयुक्त उपक्रम में स्थापित की जा रही 3×660 मे0वा0 घाटमपुर तापीय विद्युत परियोजना की पुनरीक्षित लागत पर एन0यू0पी0पी0एल0 के निदेशक मण्डल एवं कोयला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदत्त अनुमोदन के क्रम में पुनरीक्षित लागत 19,406.12 करोड़ रुपये पर अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा परियोजना की बढ़ी हुई अतिरिक्त लागत का वित्तीय पोषण 70 प्रतिशत ऋण द्वारा एवं 30 प्रतिशत अंशपूंजी के माध्यम से, जिसमें उ0नि0लि0 की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी के सापेक्ष अतिरिक्त अंशपूंजी प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गयी है।
उल्लेखनीय है कि यह परियोजना नेयवेली उ0प्र0 पावर लि0, एन0एल0सी0 एवं उ0नि0लि0 का संयुक्त उपक्रम है। परियोजना की प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय इकाइयों से विद्युत उत्पादन शीघ्र प्रारम्भ होना सम्भावित है। परियोजना से उत्पादित विद्युत का 75 प्रतिशत अंश प्रदेश को प्राप्त होगा।

ओबरा-सी 2×660 मे0वा0 तापीय विस्तार परियोजना की तृतीय संशोधित लागत 13005.43 करोड़ रु0 पर अनुमोदन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद द्वारा ओबरा-सी 2×660 मे0वा0 तापीय विस्तार परियोजना में प्राइस वैरिएशन, विनिमय दरों में परिवर्तन, प्री ऑपरेटिव एक्सपेन्सेज (यथा स्टार्ट-अप फ्यूल एवं मार्जिन मनी), स्टेबलिशमेन्ट कॉस्ट एवं आई0डी0सी0 में वृद्धि के कारण आकलित अतिरिक्त कुल 1299.58 करोड़ रुपये की लागत वृद्धि के फलस्वरूप ओबरा-सी 2×660 मे0वा0 परियोजना की अनुमानित लागत के 11705.85 करोड़ रुपये से बढ़कर 13005.43 करोड़ रुपये पर अनुमोदन प्रदान किया गया है।
परियोजना की बढ़ी हुई अतिरिक्त लागत 1299.58 करोड़ रुपये के 70 प्रतिशत 909.71 करोड़ रुपये का वित्त पोषण ऋण लेकर एवं 30 प्रतिशत राशि 389.87 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश सरकार की अंशपूजी से किया जायेगा। अतिरिक्त ऋण 909.71 करोड़ रुपये हेतु शुल्क रहित शासकीय गारण्टी प्रदान की जाये।
ज्ञातव्य है कि परियोजना की 660 मेगावाट की प्रथम इकाई की सी0ओ0डी0 09 फरवरी, 2024 को घोषित की जा चुकी है। 660 मेगावाट की द्वितीय इकाई से विद्युत उत्पादन शीघ्र प्रारम्भ होना अनुमानित है। परियोजना से उत्पादित शत-प्रतिशत बिजली प्रदेश को प्राप्त होगी।

400/220/132 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र रसड़ा, बलिया एवं तत्सम्बन्धी लाइनों के निर्माण हेतु पुनरीक्षित लागत 537.38 करोड रु0 अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने 400/220/132 के0वी0 जी0आई0एस0 उपकेन्द्र रसड़ा, बलिया का निर्माण (125 एम0वी0ए0आर0 बस रिएक्टर सहित) एवं तत्सम्बन्धी लाइनों के निर्माण हेतु कुल पुनरीक्षित लागत 537.38 करोड रुपये, जी0एस0टी0 सहित पर अनुमोदन प्रदान कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने पुनरीक्षित लागत के 30 प्रतिशत भाग हेतु शासकीय अंशपूँजी एवं 70 प्रतिशत भाग वित्त पोषण संस्थाओं से ऋण के माध्यम से सुनिश्चित किये जाने की भी अनुमति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उपकेन्द्र एवं तत्सम्बन्धी लाइनों के निर्माण से जनपद बलिया, मऊ एवं गाजीपुर के क्षेत्रों को पोषित करने वाले 220 के0वी0 उपकेन्द्र गाजीपुर, भदौरा एवं रसड़ा तथा 132 के0वी0 उपकेन्द्र चितबड़ागांव, कासिमाबाद एवं बलिया से आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा। जनपद बलिया, मऊ एवं गाजीपुर की विद्युत व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए स्थानान्तरण सत्र वर्ष 2024-25 हेतु नीति स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए स्थानान्तरण सत्र वर्ष 2024-25 हेतु नीति को स्वीकृति प्रदान कर दी है। स्थानान्तरण दिनांक 30 जून, 2024 तक किये जायेंगे। समूह ’क’ एवं समूह ’ख’ के अधिकारी, जो अपने सेवाकाल में सम्बन्धित जनपद में कुल 03 वर्ष पूर्ण कर चुके हों, को उक्त जनपदों से स्थानान्तरण किये जाने की व्यवस्था एवं समूह ’क’ एवं समूह ’ख’ के जो अधिकारी अपने सेवाकाल में एक मण्डल में 07 वर्ष पूर्ण कर चुके हों, को उक्त मण्डल से स्थानान्तरित कर दिया जाय। विभागाध्यक्ष/मण्डलीय कार्यालयों में की गयी तैनाती अवधि को स्थानान्तरण हेतु उक्त निर्धारित अवधि में नहीं गिना जायेगा। मण्डलीय कार्यालयों में तैनाती की अधिकतम अवधि 03 वर्ष होगी तथा इस हेतु सर्वाधिक समय से कार्यरत अधिकारियों के स्थानान्तरण प्राथमिकता के आधार किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
समूह ’क’ एवं ’ख’ के स्थानान्तरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की संख्या के अधिकतम 20 प्रतिशत एवं समूह ’ग’ एवं समूह ’घ’ के कार्मिकों के स्थानान्तरण संवर्गवार कुल कार्यरत कार्मिकों की संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक किये जा सकेंगे।
समूह ’ग’ हेतु पटल परिवर्तन/क्षेत्र परिवर्तन के संबंध में निर्गत शासनादेश संख्या-8/2022/सा0-119/सैंतालिस-4-2022-(1/3/96) दिनांक 13 मई, 2022 के द्वारा कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किये जाने की व्यवस्था की गयी है एवं समूह ’ख’ एवं समूह ’ग’ के कार्मिकों के स्थानान्तरण यथासम्भव मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
मंदित बच्चों/चलन क्रिया से पूर्णतया प्रभावित दिव्यांग बच्चों के माता-पिता की तैनाती विकल्प प्राप्त करके ऐसे स्थान पर किये जाने की व्यवस्था की गयी है, जहां उसकी उचित देखभाल व चिकित्सा की समुचित व्यवस्था हो।
भारत सरकार द्वारा घोषित प्रदेश के 34 जनपदों के 100 आकांक्षी विकास खण्डों के समस्त जनपदों में तैनाती संतृप्तीकरण किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
स्थानान्तरण सत्र के पश्चात अब समूह ’क’ के साथ ही साथ समूह ’ख’ के सम्बन्ध में विभागीय मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री जी से अनुमोदन प्राप्त कर किये जा सकेंगे।

दिनांक 30 जून/31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले राज्य सरकार के कार्मिकों द्वारा आहरित अन्तिम वेतन में एक नोशनल वेतन वृद्धि जोड़ते हुए पेंशन एवं ग्रेच्युटी का आगणन किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने दिनांक 30 जून/31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले राज्य सरकार के कार्मिकों द्वारा आहरित अन्तिम वेतन में एक नोशनल वेतन वृद्धि जोड़ते हुए पेंशन एवं ग्रेच्युटी का आगणन किये जाने के सम्बन्ध में आदेश निर्गत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस सम्बन्ध में यह निर्णय भी लिया गया है कि उक्त आदेश तत्काल प्रभाव अर्थात शासनादेश निर्गत होने की तिथि से लागू होंगे। दिनांक 01 जुलाई को वेतन वृद्धि प्रदान किये जाने सम्बन्धी व्यवस्था दिनांक 01 जनवरी, 2006 से प्रभावी छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों के क्रम में लागू की गयी है। अतः इन आदेशों से वे कार्मिक भी आच्छादित होंगे, जो दिनांक 01 जनवरी, 2006 के उपरान्त परन्तु शासनादेश निर्गत होने के पूर्व सम्बन्धित वर्ष की 30 जून को सेवानिवृत्त हो चुके थे, परन्तु उन्हें यह लाभ तात्कालिक प्रभाव से अनुमन्य होगा तथा उन्हें एरियर का भुगतान अनुमन्य न होगा। यही व्यवस्था दिनांक 01 जनवरी, 2016 के उपरान्त परन्तु शासनादेश निर्गत होने की तिथि के पूर्व सेवानिवृत्त उन कार्मिकों पर भी लागू होगी, जो सम्बन्धित वर्ष की 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त हुए तथा जिन्हें दिनांक 01 जनवरी को वेतन वृद्धि देय थी।
नोशनल वेतनवृद्धि प्रदान किये जाने के फलस्वरूप इन कार्मिको की पेंशन एवं ग्रेच्युटी की धनराशि में वृद्धि होगी।

जनपद मथुरा की तहसील-सदर स्थित ग्राम जचौंदा में जनसुविधाओं/पड़ाव एवं शिल्पग्राम की स्थापना हेतु ग्राम समाज की भूमि को पर्यटन विभाग के निवर्तन पर निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनहित में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए जनपद मथुरा की तहसील-सदर, मथुरा स्थित ग्राम जचौंदा में प्रस्तावित कुल 18 किता क्षेत्रफल 6.8590 हेक्टेयर को जनसुविधाओं/पड़ाव एवं शिल्पग्राम की स्थापना हेतु ग्राम समाज की भूमि को पर्यटन विभाग के निवर्तन पर निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रतर निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
उल्लेखनीय है कि विविध पर्यटन आकर्षणों की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। भारत में घरेलू पर्यटकों एवं विदेशी पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का क्रमशः प्रथम एवं तृतीय स्थान है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वन-सम्पदा की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं विद्यमान हैं।
जनपद मथुरा में मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, महावन, बल्देव, बरसाना, नंदगांव एवं गोवर्धन धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात स्थल हैं। यहाँ देश-विदेश से लाखों पर्यटक भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में दर्शनार्थ आते हैं।
ब्रज क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में मथुरा एवं गोवर्धन का विशेष महत्व है। गोवर्धन में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक एवं परिक्रमार्थी आते हैं तथा इस संख्या में वर्षवार निरन्तर वृद्धि हो रही है।
मथुरा-गोवर्धन मार्ग पर तहसील सदर स्थित ग्राम जचौंदा में ग्राम समाज की लगभग 6.859 हेक्टेयर भूमि रिक्त पड़ी हुई है। इस भूमि पर तीर्थयात्रियों के लिए जनसुविधा, एक आदर्श पड़ाव/विश्राम स्थल एवं शिल्पग्राम के रूप में एक बहुउपयोगी सुविधा केन्द्र विकसित हो सकता है। यहाँ पर ब्रज की स्थानीय प्रजातियों के वृक्षों का रोपण कराकर आकर्षक वाटिका भी बनायी जा सकती हैं।
उक्त भूमि पर पर्यटन विकास सम्बन्धी गतिविधियों के फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और स्थानीय लोगों के आर्थिक सामाजिक जीवन-स्तर में भी उन्नयन होगा।

लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने लखीमपुर खीरी हवाई अड्डे के विस्तारीकरण हेतु राजस्व ग्राम गजरौरा, मुजहा एवं फुलवरिया की निजी भूमि 227.1485 हेक्टेयर तथा शासकीय भूमि 38.0492 हेक्टेयर अर्थात कुल 265.1977 हेक्टेयर (655.30 एकड़) भूमि के क्रय हेतु भूमि की दरों पर आयुक्त लखनऊ मण्डल, लखनऊ के प्रस्ताव के अनुसार अनुमोदन एवं परियोजना हेतु भूमि के मूल्य व प्रभावित क्षेत्रफल पर अवस्थित परिसम्पत्तियों/निर्माण के मूल्य कुल अनुमानित धनराशि 2,74,22,93,894 रुपये (दो अरब चौहत्तर करोड़ बाइस लाख तिरानवे हजार आठ सौ चौरानवे रुपये मात्र) पर प्रशासकीय व वित्तीय अनुमोदन तथा उक्त हवाई अड्डे के विस्तारीकरण हेतु वांछित भूमि के क्रय हेतु अनुमानित धनराशि पर देय निबन्धन शुल्क की धनराशि 2,60,29,456 रुपये (दो करोड़ साठ लाख उन्तीस हजार चार सौ छप्पन रुपये मात्र) की छूट प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा सम्बन्धित शासकीय विभागों द्वारा उनकी भूमि एवं भूमि पर अवस्थित परिसम्पत्तियों के विस्थापन, डायवर्जन तथा निर्माण इत्यादि से सम्बन्धित कार्य उनके विभागीय बजट से वहन किए जाने तथा निःशुल्क एवं भार मुक्त रूप से नागरिक उड्डयन विभाग को भूमि उपलब्ध कराए जाने/अन्तरित किए जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रिपरिषद ने परियोजना में किसी प्रकार के परिवर्धन/परिवर्तन की स्थिति में निर्णय लेने हेतु तथा अन्य सम्बन्धित कार्यां के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।

नोएडा इन्टरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर के विस्तारीकरण (स्टेज-2/फेज-1) हेतु अर्जित भूमि से प्रभावित कुटुम्बों के पुनर्वासन व पुनर्व्यवस्थापन हेतु धनराशि उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने नोएडा इन्टरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर के विस्तारीकरण (स्टेज-2/फेज-1) के निर्माण हेतु अर्जित भूमि एवं प्रभावित कुटुम्बों के पुनर्वासन व पुनर्व्यवस्थापन हेतु निर्गत वित्तीय स्वीकृतियों, अधिसूचनाओं एवं दिनांक 31 मई, 2024; दिनांक 18 अप्रैल, 2023; दिनांक 18 जुलाई, 2023; दिनांक 05 जनवरी, 2024; दिनांक 07 अगस्त, 2023; दिनांक 01 सितम्बर, 2023; दिनांक 20 अक्टूबर, 2023; दिनांक 21 फरवरी, 2024 एवं दिनांक 16 मई, 2024 के शासनादेशों पर कार्योत्तर अनुमोदन प्रदान किया है। साथ ही, परियोजना के सम्बन्ध में समय-समय पर यथा आवश्यकतानुसार निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा से सम्बद्ध 500 बेडेड अस्पताल को भूमि, उपकरण एवं साजो-सामान सहित ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान को निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा से सम्बद्ध 500 बेडेड अस्पताल, जो 15 एकड़ भूमि पर निर्मित है, को भूमि, उपकरण एवं साजो-सामान सहित ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा को निःशुल्क हस्तांतरित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में चिकित्सा शिक्षकों की कमी को दूर करने एवं उत्कृष्ट कोटि के चिकित्सकों को तैयार करने के साथ-साथ प्रदेश की जनता को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में ग्रेटर नोएडा में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना की गयी है।
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान से सम्बद्ध 15 एकड़ क्षेत्रफल में निर्मित 500 बेडेड अस्पताल का निर्माण ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2011 में पूर्ण करवाया गया था। वर्ष 2013 से अस्पताल में ओ0पी0डी0 सेवाएं संचालित हैं।
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना के साथ ही उक्त 500 बेडेड अस्पताल राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान से सम्बद्ध किया गया था, जिसका स्वामित्व अभी भी ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पास ही है।
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान से सम्बद्धता के साथ ही चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2016 से ही अस्पताल के संचालन, देख-रेख व अनुरक्षण कार्य हेतु बजट उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान की समस्त सेवाओं को संचालित किया जा रहा है।
एन0एम0सी0/एम0सी0आई0 के मानकानुसार राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा से सम्बद्ध अस्पताल का स्वामित्व संस्थान के पास होना आवश्यक है। संस्थान से सम्बद्ध अस्पताल का स्वामित्व संस्थान के पास न होने के कारण कई प्रकार के लाइसेन्स प्राप्त करने में अड़चन आती है।
अस्पताल में संचालित सेवाओं के अनुरक्षण का कार्य, संस्थान में संचालित एम0बी0बी0एस0, नर्सिंग व पैरामेडिकल पाठ्यक्रम तथा मरीजों को उपलब्ध करायी जा रही उपचार सुविधा के साथ ही विभिन्न शोध कार्यों के सुचारु संचालन के दृष्टिगत अस्पताल भवन का स्वामित्व राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा को दिया जाना व्यापक जनहित में है

प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत फ्यूचर विश्वविद्यालय, बरेली की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने प्रस्तावित फ्यूचर विश्वविद्यालय, बरेली, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 में संशोधन किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश, 2024 को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। अध्यादेश के आलेख्य पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी है।
उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने, उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा उक्त अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय-पत्र जारी किये जाने के दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा-03 में धारा-3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशयपत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7 की उप धारा-01 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुज्ञा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।

निजी क्षेत्र के अन्तर्गत एच0आर0आई0टी0 विश्वविद्यालय, गाजियाबाद की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने प्रस्तावित एच0आर0आई0टी0 विश्वविद्यालय, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (छठवां संशोधन) अध्यादेश, 2024’ को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। अध्यादेश के आलेख्य पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधान मण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी है।
उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने, उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ’उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा उक्त अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय-पत्र जारी किये जाने के दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा-3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय-पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुज्ञा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।

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