अंसल प्रकरण में एलडीए समेत सभी प्राधिकरणों को पक्षकार बनने की अनुमति
एनसीएलएटी ने होम बायर्स के हित में सुनाया फैसला, प्राधिकरणों को तथ्यों के साथ एक सप्ताह में दाखिल करनी होगी अपील

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंसल मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए दिये थे कड़ी कार्रवाई के निर्देशमुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एनसीएलएटी के समक्ष की प्रभावी पैरवी
लखनऊ में हाईटेक टाउनशिप नीति के विपरीत कार्य करते हुए होम बायर्स के साथ धोखाधड़ी करने वाले अंसल ग्रुप की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। अंसल को दिवालिया घोषित करने वाले एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा की गयी प्रभावी पैरवी का एनसीएलएटी ने संज्ञान लेते हुए एलडीए समेत सभी प्राधिकरणों को मामले में पक्षकार बनने की अनुमति प्रदान की है। एनसीएलएटी के इस आदेश से अंसल ग्रुप पर यूपी सरकार का शिकंजा कसने के साथ ही पीड़ित होम बायर्स के हितों को बल मिलेगा।
एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लाॅ ट्रिब्यूनल) ने अंसल ग्रुप को दिवालिया घोषित करते हुए आईआरपी (इंट्रिम रिजाॅल्यूशन प्रोफेशनल) नियुक्त किया है। इससे अंसल की परियोजनाओं में भूखण्ड, फ्लैट, विला व व्यावसायिक सम्पत्तियों में निवेश करने वाले हजारों निवेशकों की पूंजी फंस गयी है। इनमें कई ऐसे आवंटी हैं, जिन्हें कंपनी ने वर्ष 2009 में भूखण्ड बेचे, लेकिन अब तक कब्जा नहीं दिया। एनसीएलटी ने अंसल को दिवालिया घोषित करने का फैसला सुनाते समय लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास विभाग समेत किसी भी शासकीय विभाग को न तो कोई नोटिस दी और न ही पक्ष सुना गया। इससे अंसल पर शासकीय विभागों की देयता के साथ ही होम बायर्स का हित भी फंस गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित होम बायर्स के हितों का संज्ञान लेते हुए अंसल ग्रुप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे। जिसके अनुपालन में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अंसल ग्रुप के खिलाफ एफ0आई0आर0 दर्ज कराने के साथ ही एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लाॅ अपीलीय ट्रिब्यूनल) में पैरवी की। आज बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान विद्वान अधिवक्ता अभिषेक चैधरी एवं संजीव कुमार दुबे ने एनसीएलएटी के समक्ष प्राधिकरण व राज्य सरकार का पक्ष रखा। जिसमें एनसीएलएटी ने सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए सभी प्राधिकरणों को अंसल मामले में पक्षकार बनने की अनुमति प्रदान की है। एनसीएलएटी ने प्राधिकरणों को शपथ पत्र के साथ सभी तथ्यों को रिकाॅर्ड पर लाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 15 अप्रैल, 2025 को होगी।
गौरतलब है कि अंसल प्राॅपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा हाईटेक टाउनशिप नीति के अनुसार योजना पूर्ण करने के लिए परफार्मेंस गांरटी के रूप में लखनऊ विकास प्राधिकरण के पक्ष में 411 एकड़ भूमि बंधक रखी है। जांच में सामने आया है कि अंसल ने अनाधिकृत तरीके से उक्त बंधक भूमि का भी विक्रय किया है। इस मामले में एलडीए ने एनसीएलटी में अंसल ग्रुप पर 4500 करोड़ रूपये की देयता का दावा भी प्रस्तुत किया है। इसमें अर्जन, मानचित्र आदि का शुल्क शामिल है।