उत्थान ने अभियान के पहले चरण में कई जरूरतमंद कारीगरों की करी मदद

लखनऊ।
लेखक : पूजा अग्निहोत्री।

इस समय देश कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है। किसी हद तक वो कोरोना को हरा भी चुका है लेकिन इस कोरोना ने लोगों के रहन सहन को बदल दिया है। कोई भी आज इस महामारी के असर से बचा हो। इस कोरोना ने कारीगरों की जिंदगी पर दोहरी मार मारी है। पहला कारीगरों को बाकि लोगों की तरह कोरोना से बचना और दूसरा उन्हें सोशल दूरी को मद्देनजर रखते हुए अपने उर बच्चो को भुखमरी से बचाना है। वो आज न सिर्फ आर्थिक बल्कि समाजिक समस्या से भी लड़ रहे हैं। आज इनके पास रोजमर्रा के लिए भी पैसे नही है। कितना भयानक ख्याल होता होगा एक बाप के लिए ये सोचना कि उसके बच्चे आज भूखे न सो जाएँ। वो कारीगर जो अपनी कलाकृतियों के जरिये देश की संस्कृति को एक सपने की तरह बचा कर रखते आए हैं आज उनकी आँखें सपने देखने से डरती है। इनकी जिंदगी आज दोहराए पर खड़ी है। वो समझ नही पा रहे है की सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कैसे अपने बच्चो को पेट भर खाना खिला सकें। कितने मजबूर है वो कारीगर जो आज तक अपनी कलाकृतियों में रंग भरते आए थे और आज उनकी जिंदगी बेरंग हो गयी है। सरकार ने लगभग हर वर्ग के लिए इस महामारी में मदद की है लेकिन कारीगरों तक सरकार की कोई भी सुविधाएँ जमीनी तौर पर नही पहुंची हैं।

उनकी जिंदगी में रंग वापस से एक बार रंग भरने के लिए उत्थान ने एक अनोखी पहल #कारीगर अपनाओ संस्कृति बचाओ 15 अगस्त को शुरू किया गया था। हम सब बचपन से पढ़ते आए है की बूँद बूँद से सागर बनता है आज आपकी एक छोटी सी मदद किसी के घर की रौनक वापस ला सकती हैl उत्थान आपसे किसी आर्थिक मदद को न लेते हुए किसी भी तरह का कच्चा माल या औज़ार लेगा। जिसकी वजह से इन कारीगरों का काम रुका पड़ा है। आप लोग इस अभियान के तहत दवाइयां, कच्चा माल, बीमा, बच्चो के लिए शिक्षा, कम पैसो के स्मार्ट फ़ोन, लैपटॉप, कपडे आदि दे सकते हैं। हमारे भारत में किसी को खाना खिलाना बहुत पुण्य का काम होता है। अगर आप चाहे तो ऑनलाइन फ़ूड एप के जरिये किसी एक कारीगर परिवार को एक समय का खाना दिला कर इस अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैंl आपके द्वारा की गयी एक छोटी सी मदद न जाने कितने चेहरों पर खुशियाँ ला सकती है। उत्थान ने इससे पहले लॉक डाउन के समय में करीब 2000 से ज्यादा परिवारों को उनकी मेहनत का पैसा दिया हैl उत्थान में कोई भी बिचौलिया न होने के कारण कारीगर अपने उत्पादों का मूल्य खुद तय करते हैं।

उत्थान की टीम ने इस अभियान के पहले चरण के तहत 100 से अधिक कारीगरों के परिवारों तक उनकी हरुरत की चीज़े पहुंचा कर उनके चेहरे पर खुशी लाने की कोशिश की है.उत्थान इस अभियान के तहत हर वक़्त 10 से अधिक कारीगरों की मदद कर रहा है। कई कॉलेज के बच्चे इसमें अपना सहयोग दे रहे हैं। 20000 से अधिक कारीगर परिवार पूरे भारत में संघर्ष कर रहे हैं और हमें इन जरूरतमंद कारीगरों के परिवारों को खिलाने के लिए आपकी सहायता की आवश्यकता है।इस अभियान के साथ जुड़ कर आप किसी परिवार की बेरंग जिंदगी में रंग भर सकते है। किसी आँखों के सपने को बचाकर उन्हें दोबारा सपने देखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है।

आइए हम एक साथ जुड़ें और अपने भारतीय कारीगरों के जीवन में बदलाव लाएं।

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