UPCM ने मथुरा में विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया
उत्तर प्रदेश।
UPCM ने मथुरा में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान केन्द्र एवं गो-अनुसंधान विश्वविद्यालय में एकात्मक मानववाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर जनपद के चहुंमुखी विकास हेतु 19501.39 लाख रुपए की लागत से 21 परियोजनाओं का लोकार्पण किया और 1913.85 लाख रुपए लागत की 08 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया।
लोकार्पित परियोजनाओं में लोक निर्माण विभाग की 02, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की 06, नगर विकास की 01, माध्यमिक शिक्षा विभाग की 04, अग्निशमन की 01, संस्कृति विभाग की 01, पुलिस विभाग की 01, पर्यटन विभाग की 01, कृषि विभाग की 01, सेतु निगम की 01 तथा पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय की 01 परियोजना सम्मिलित है।
इसी प्रकार शिलान्यास की गई परियोजनाओं में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मल्टी परपज़ सीड स्टोर एण्ड टेक्नोलाॅजी डिसेमिशनेशन सेन्टर फरह तथा राया का निर्माण कार्य, फरह, रहेणा तथा राया शोध प्रक्षेत्र पर डीप बोरिंग, पम्प हाउस एवं विद्युतीकरण कार्य, राज्य योजना डेम्पीयर नगर स्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सेवा सदन का जीर्णोद्धार कार्य, उद्यान विभाग के अधीन जवाहर बाग का सौन्दर्यीकरण कार्य तथा राज्य सड़क निधि के अन्तर्गत दौलतपुर मार्ग का सुदृढ़ीकरण कार्य आदि सम्मिलित हैं।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल राम नाईक जी ने कहा कि मूर्ति विचारों की अभिव्यक्ति होती है। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी एकात्म मानववाद के प्रणेता थे। इस विश्वविद्यालय का नाम पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर होने की वजह से यहां पण्डित जी की मूर्ति का होना जरूरी था। यह शुभ कार्य आज उनकी पुण्यतिथि पर सम्पन्न हुआ। उन्होंने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी पण्डित जी की मूर्ति तीन माह पूर्व ही लगाई गई है। मुम्बई में उन्हें भी पण्डित जी से प्रेरणा लेने का सौभाग्य मिला था।
राज्यपाल ने कहा कि देश व प्रदेश की तस्वीर बदल रही है। आज 214 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के लोकार्पण तथा शिलान्यास से पण्डित जी के जन्म स्थली जनपद में विकास की तस्वीर बदलेगी। कृषि क्षेत्र में विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी सत्र से वेटनरी विश्वविद्यालय में डेयरी तथा फिशरीज़ के क्षेत्र में बीटेक पाठ्यक्रम भी शुरू हो जायेगा। इस अवसर पर पुस्तक ‘‘समग्र दृष्टि‘‘ तथा विश्वविद्यालय की स्मारिका ‘एनीमल हसबैन्ड्री इन उत्तर प्रदेश’ का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए UPCM ने कहा कि आज भारतीय संचेतना को जागृत करने वाले पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि है। वे भले ही भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका दर्शन इस बात का साक्षी है कि विचार कभी मरते नहीं है, बल्कि समय के अनुरूप अपना कार्य करते हैं। आज पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद व अन्त्योदय के अभियान पर गांव-गांव तथा घर-घर में कृत संकलित होकर कार्य हो रहे हैं। जब हम अन्त्योदय की बात करते हैं तो भारत की ग्राम आधारित व्यवस्था का दृश्य हम सबके सामने उभर कर आता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने भी ग्राम स्वराज्य की बात की थी। आजादी के बाद कुछ ही महापुरूष थे, जिन्होंने भारत को भारतीय दृष्टि से देखने का प्रयास किया। पण्डित जी भारत को भारत की दृष्टि से देखने के पक्षधर थे। उनके अनुसार भारत के अन्दर ऐसी कृषि नीति होनी चाहिए, जिसमें खेती, पशुपालन तथा बागवानी भी हो।
UPCM ने कहा कि हमारे धर्मस्थल, उपासना के साथ सामाजिक संचेतना के आधार भी होने चाहिए। पण्डित जी ने पारस्परिक सहकारिता के बारे में देश की आजादी के बाद मुखर स्वर उठाये थे। भारत के अन्दर राजनैतिक दलों का स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि प्रत्येक दल के अन्दर एक नया वैचारिक अधिष्ठान देने की क्षमता हो। उन्होंने कहा कि पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी पर पूरा वांङमय उपलब्ध है। लोगों को इसे पढ़ना चाहिए। साथ ही, डा0 राममनोहर लोहिया का वांङमय भी पढ़ना चाहिए, जो भारतीय संचेतना को एक नई गति देने के लिए सदैव सक्रिय रहे।
UPCM ने कहा कि पण्डित जी ने कहा था कि जो कमाएगा, वह खिलायेगा भी। यदि कमाने वाला यह सोचे कि परिवार के अन्य सदस्य नहीं कमाते हैं तो वह परिवार नहीं रह पायेगा, इस दृष्टि को समझने का प्रयास पण्डित जी ने किया था। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की एकता में परिवार महत्वपूर्ण कड़ी है। पण्डित जी के विचारों के अनुसार भारत की औद्योगिक नीति में 07 एम0 मनुष्य, माल, मुद्रा, मशीनरी, मैनेजमेंट, मोटिवेशन तथा मार्केट होने चाहिए। इसे लेकर जो औद्योगिक नीति बनाई जायेगी, वह समाज के लिए कल्याणकारी होगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए देश का औद्योगिक दृष्टिकोण शंकराचार्य जैसा होना चाहिए, जिन्होंने ऐसे समृद्ध परिवार से भिक्षा लेने से अस्वीकार कर दिया था, जिसके नजदीक ही एक अन्य परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी।
UPCM ने वृन्दावन में भारतीय गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु महामना गौ-ग्राम का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया तथा गायों का पूजन कर उनको चारा खिलाया। महामना गौ-ग्राम के तहत मथुरा-वृन्दावन क्षेत्र के 108 गांवों को समग्र विकास के लिए गोद लिया गया है।
UPCM ने कहा कि अब वेटनरी विश्वविद्यालय का पहला दायित्व गौ-माता के दूध की क्षमता बढ़ाने के साथ ही, भारतीय नस्ल की अच्छी गाय हर गौ-पालक को उपलब्ध कराने की है, जिससे कृषि के साथ अच्छा गौपालन व बागवानी भी हो सके। उन्होंने कहा कि गौ-अनुसंधान में भारतीय नस्ल की गाय पर शोध करके दूध की क्षमता 10 से 25 लीटर तक बढ़ाने का कार्य किया जाना चाहिए। इनके गोबर से गोबर गैस प्लाण्ट चलेंगे तथा मीथेन गैस का प्रयोग सिलेण्डर भरने में प्रयोग करने से गरीब लोगों को बाहर से गैस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। गोबर गैस प्लाण्ट से निकलने वाले गोबर को जैविक खेती के लिए उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि ब्रज क्षेत्र के साथ ही पूरे प्रदेश में जो भी गौशाला बनाने के इच्छुक हों, उसके लिए पैसा दिया जायेगा, लेकिन चारे की व्यवस्था स्वयं करनी होगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पशुपालन तथा डेयरी से जुडे़ पाठ्यक्रमों को लागू करने से एक नई दिशा मिलेगी।
इस अवसर पर UPCM ने कहा कि गांव, गाय, गंगा के संरक्षण से ही देश को समृद्ध बनाया जा सकता है। गायों के संरक्षण हेतु राज्य सरकार कार्य कर रही है और इसको लेकर नई योजना भी बनायी जा रही है। जहां पर भी गायों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अच्छी योजना होगी। सरकार उसके सहयोग के लिए हमेशा तैयार है। सरकार आते ही अवैध बूचड़खानों को बन्द कराया गया। उन्होंने कहा कि वृन्दावन की भूमि में इस तरह के कार्य का होना एक अच्छा संदेश देता है और यह भूमि तो हमेशा से गौचारण भूमि रही है। भगवान श्री कृष्ण ने भी यहां पर गौचारण कर गौ सेवा की है। यहां के कण-कण में भगवान का वास है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने आवारा पशुओं का किसानों को नुकसान पहुंचाने की भी बात आई थी, जिसके लिए सरकार एक कार्य योजना तैयार कर रही है। अच्छी नस्ल की गाय तैयार कर किसानों को दी जायेगी, जिसके लिए सरकार प्रयासरत है।