UPCM के नाम पर कृषि निदेशक दे रहा, कृषि विद्यालय के प्रधानाध्यापक को धमकी
उत्तर प्रदेश।
UPCM वाह रे तेरे कृषि निदेशक! उत्तर प्रदेश में UPCM भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात कर रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ UPCM के नाम पर कृषि निदेशक बुलंदशहर के कृषि विद्यालय के प्रधानाध्यापक को खुलेआम धमकी दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक सोराज सिंह लखनऊ अपने कार्यालय के लैंडलाइन संख्या 0522-220-58686 से दर्शन सिंह राजपूत संयुक्त कृषि निदेशक प्रधानाचार्य राजकीय कृषि विद्यालय बुलंदशहर को किया और कृषि निदेशक सोराज सिंह ने धमकी दी। हैरानी की बात ये है कि इस धमकी में भी मुख्यमंत्री का नाम लेकर उन्हें धमकाया। निदेशक में अपने कार्यालय में बैठकर कहां हम मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे हैं। UPCM के नाम पर की अपने खास अफसर शिशुपाल सिंह को चार्ज दिलाना चाहा, जबकि जिस पद पर शिशुपाल को निदेशक कृषि नियुक्ति दिलाना चाहते हैं उस पर उच्च न्यायालय ने स्टे प्रदान कर दिया है। क्या शिशुपाल से निदेशक महोदय ने लंबी रकम ले रखी है? यह चर्चा का विषय है।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अपर कृषि निदेशक प्रशासन आर.एस कौशल के द्वारा एक आदेश भी कृषि निदेशक ने अपने दबाव में जारी कराया, जबकि उस आदेश पर रमेश चंद्र नामक व्यक्ति ने स्टे ले लिया है। कहा तो यहां तक जाता है कि कृषि विभाग में तबादला का बहुत लंबा उद्योग चल रहा है जिसमें निदेशालय से लेकर शासन के अधिकारी भी शामिल हैं। यही कारण है कि इस नियुक्ति में भी काफी लंबा लेनदेन हुआ होगा।
UPCM और मंत्रियो का करीबी बताने वाला निदेशक-
यह सोराज सिंह वही है जो बसपा पूर्व UPCM सरकार में संयुक्त निदेशक उर्वरक के पद पर तैनात थे तब खाद की काफी कालाबाजारी अखबारों में सुर्खियां बनी थी। इसकी जांच भी शासन में दबा दी गई और इनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का एक मामला भी शासन में दफन कर दिया गया। बताया जाता है कि सोराज सिंह मुख्य सचिव को अपना रिश्तेदार बताकर दबाव बनवाते हैं और कभी-कभी UPCM के नाम पर भी अफसरों को फोन कर जिले के अधिकारियों को आदब में लेते हैं और सही गलत काम कराते रहते हैं।
यही वजह है कि आज कृषि विभाग में लाइसेंस बनवाने का रेट काफी बढ़ चुका है वह चाहे बीच क्षेत्र का हो या उर्वरक का। सब में निवेशक कैंप का हिस्सा है, यह पैसा कौन लेता है यह तो निदेशक ही जान? बताया जाता है कि निदेशक का इसमें बड़ा योगदान है। उर्वरक में तो बड़ा लंबा खेल है लाइसेंस 3 साल का और परमिशन निदेशक महोदय की तरफ से 1 साल की जो मात्र वसूली के लिए वर्षों से बना हुआ नियम है। उर्वरक व्यवसाइयों से लंबी रकम वर्षों से वसूली जाती है क्वालिटी कंट्रोल के नाम पर भी जनपदों से एक निश्चित रकम बंधी हुई है, जो वसूली कर निदेशालय में भेजा जाता है या पैसा कौन लेता है? कहा जाता है कि या पैसा शासन तक जाता है।
कृषि विभाग में यही नहीं किसानों के ऑनलाइन पंजीकरण वाली कंपनी से भी काफी खेल हुआ, इसमें भी कंप्यूटर की एजेंसी से ना करा कर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की कंपनी से ऑनलाइन पंजीकृत कराया जा रहा है। जिसमें काफी लंबा खेल है और करोड़ों का चढ़ावा चला है। जिले के अफसरों को दबाव में लेकर ऑनलाइन पंजीकरण करने का काम उनसे लिया जाता है और पेमेंट कमीशन लेकर उक्त चार्टर्ड अकाउंट की फर्म को दे दिया जाता है। कृषि विभाग में कमीशनखोरी आज नई बात नहीं है। फिलहाल मामला कृषि निदेशक द्वारा अपने ही विभाग के एक अफसर को धमकी देने का है जिसका वायरल ऑडियो ने विभाग में हड़कंप मचा रखा है।
इस मामले में जब कृषि निदेशक सोराज सिंह से पत्रकारों ने बात करनी चाही तो वह बात करने से पहले उठ कर चले गए और एक चैनल के कैमरामैन को हाथ से फोटो बनाने के लिए भी रोका। यही नहीं मीडिया-कर्मियों को धमकी भी दी। कहा जाता है कि सोराज सिंह अपने को जाटों का नेता भी बताते हैं और क्षेत्र के नेताओं को ऑफिस में बैठाकर जिले के अधिकारियों को फोन करते हैं। कहते हैं कि यह UPCM के खास हैं इनसे बात करो और दबाव डालते हैं जिससे कृषि विभाग के अफसरों में अंदर ही अंदर आक्रोश फैल रहा है।
सौजन्य – टाइम लाइव न्यूज़ एजेंसी।