UPCM कहीं घनी-घना कहीं मुट्ठी भर चना, कहीं कुछौ नाही

रिपोर्ट – अभिषेक मणि त्रिपाठी।
उत्तर प्रदेश।
UPCM के दो बेहद महत्वपूर्ण मानी जाने वाली गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा का उपचुनाव हुआ, बीजेपी अपने आप को प्रबल दावेदार तो पहले ही घोषित कर चुकी थी, वहीँ सपा का साथ देने में बसपा भी पीछे नहीं थी। हाँ लेकिन सपा बसपा की पुरानी राजनितिक रंजिश, कहीं न कहीं खुल के स्पोर्ट में नहीं आई। लेकिन बीजेपी की लगातार जीत विपक्ष पार्टीयों को न चाहते हुए भी गठबंधन पर मजबूर की।नतीजा हुआ कि बसपा ने उस पार्टी का साथ देने का वादा किया जो बीजेपी को हराने में प्रमुख पार्टी बनकर उभरेगी।

आखिर क्यों महत्व्पूर्ण हैं ये दो सीट, और क्यू हुआ इतना कम प्रतिशत मतदान?
UPCM के क्षेत्र के अगर आकड़ो की माने तो गोरखपुर सदर संसदीय सीट उपचुनाव में 19.49 लाख मतदाता हैं, शहर में सर्वाधिक 4.35 लाख, जबकि सहजनवा में सबसे कम 3 लाख के आस पास मतदाता हैं। इन सब को जोड़े तो इनमें आठ लाख से अधिक महिलाएं हैं। सबसे खास और महत्वपूर्ण बात यह है कि गोरखपुर UPCM का गढ़ माना जाता है। ठीक वैसे ही UP_Dy_CM केसव प्रसाद मौर्या का रुतबा अपने क्षेत्र इलाहाबाद में कायम है।

लोकसभा संसदीय क्षेत्र (64) के उप-निर्वाचन में रविवार शाम तक 47.45 प्रतिशत मतदान हुआ है। उक्त जानकारी जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी राजीव रौतेला ने दी हैं। विधानसभावार कैम्पियरगंज में 49.43 प्रतिशत, पिपराइच 52.24 प्रतिशत, गोरखपुर शहर 37.76, गोरखपुर ग्रामीण 45.74 प्रतिशत तथा सहजनवां 50.07 प्रतिशत मतदान हुआ है। 50 बूथों की वेबकास्टिंग करायी गयी है।

इलाहाबाद के फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के 19.63 लाख मतदाता 22 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने वाले थे। मगर चुनाव प्रतिशत में गिरावट आई। इलाहाबाद के फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए 838 मतदान केंद्रों पर 2155 बूथ बनाए गए। जहाँ करीब 19,63,543 लाख मतदाता फूलपुर उपचुनाव में किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। यहां पर प्रशासनिक व्यवस्था बेहद चुस्त दुरुस्त रही।

गोरखपुर में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। जहां 970 मतदान केंद्रों व 2141 मतदान स्थलों पर मतदान हुआ। इसी तरह इलाहाबाद के फूलपुर में इलाहाबाद जिले की कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। जहां 793 मतदान केंद्रों पर 2059 मतदेय स्थलों पर मतदान हुआ। फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट के 45 मतदान केंद्र और 95 मतदेय स्थल अकेले कौशाम्बी जिले में आते हैं।

  • सुबह 7 से लेकर 5 बजे तक क्या रहा चुनाव प्रतिशत?
  • उपचुनाव में 2155 में 1820 पोलिंग बूथ बने थे।
  • दोपहर एक बजे तक फूलपुर में 19.20 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया।
  • कुल मिलाकर शाम 5 बजे तक फूलपुर उप-चुनाव की फाइनल वोटिंग 38%।
  • फाफामऊ विधानसभा- 43%
  • सोरांव विधानसभा – 45%
  • फूलपुर विधानसभा- 46.32%
  • शहर उत्तरी विधानसभा- 21.65%
  • शहर पश्चिमी विधानसभा- 31%

गोरखपुर में सुबह 9 बजे तक 7 प्रतिशत मदान रिकॉर्ड किया गया। वहीं फूलपुर 4.8 फीसदी ही मतदान रिकॉर्ड हुआ। पहले दो घंटे मतदान धीमा रहा, लेकिन 11 बजते बजते वोटरों की संख्या में इजाफा हो गया। 11 बजे तक दोनों जगह का औसत मतदान 14.50 प्रतिशत रहा। गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में सुबह 11 बजे तक 17 फीसद मतदान हुआ तो इलाहाबाद के फूलपुर में 12.40 प्रतिशत मतदान हुआ। जिसके बाद गोरखपुर लोकसभा में तीन बजे तक 37.00 फीसदी मतदान। फूलपुर लोकसभा सीट पर तीन बजे तक 26.60 फीसदी मतदान।फूलपुर में मतदान शांति पूर्ण रहा।चुनाव की गंभीरता को देखते हुए अर्धसैनिक बल की टुकड़ियां लगाई थी।

गोरखपुर में चुनाव का बहिष्कार

UPCM के क्षेत्र का हाल आज भी वही है, वोट प्रतिशत कहीं न कहीं इसलिए गिरा क्योंकि आज भी गोरखपुर वही सालों पहले का गोरखपुर है। चाहे मामला इंसेफ्लाइटिस का हो या रोड से जुड़ा हो। आज भी गोरखपुर पूर्वांचल की कमजोरी बयाँ करता है। वहीँ टूटी सड़कें, नालियों की गंदगी। यही वजह रही है कि गोरखपुर की एक हजार की आबादी वाले मुहल्ले ने चुनाव का बहिष्कार किया। इनका आरोप है कि सड़क नाली बिजली जैसी बुनयादी सुविधाएं तक अब तक नही दे सकी है ये सरकार। ये वोट बैंक कोई और नहीं गोरखपुर के निषाद समुदाय के लोग है। सूत्रों की माने तो शायद ये सपा बसपा के गठबंधन का असर है।

UPCM के गोरखपुर में निषाद समुदाय चुनाव का बहिष्कार करते हुए
UPCM के गोरखपुर में निषाद समुदाय चुनाव का बहिष्कार करते हुए

वहीँ गोरखपुर में चुनाव को लेकर जिला प्रशासन की तैयारियों की पोल भी खुली। सहजनवा, पिपराइच और कैंपियरगंज के कुछ बूथों पर ईवीएम में खराबी के चलते इसे बदलना या ठीक करना पड़ा। जिनको बदलने के बाद मतदान को आगे बढ़ाया गया। जिसके कारण एक से दो घंटे में बेहद धीमा मतदान। इसके बाद वोटर घर से निकले। जहां सात से नौ बजे के बीच में इलाहाबाद के फूलपुर में केवल 4.8 फीसदी मतदान हुआ। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर सन्नाटा पसरा था।

सपा और बसपा गोरखपुर में जातीय समीकरण को साधते हुए चुनाव की तैयारी की है। गोरखपुर के कुल 19.49 लाख वोटर हैं जिसमे अकेले निषाद वोटरों की संख्या करीब करीब तीन लाख है। यादव मतदाताओं की संख्या दो लाख से ज्यादा है। पिछड़ों और दलितों के वोटरों की संख्या जोड़ ली जाए तो भाजपा को इस सीट पर कड़ी टक्कर मिल सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में UPCM 52 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर गोरखपुर से सांसद चुने गए थे।योगी आदित्यनाथ से पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ भी इस सीट से तीन बार सांसद चुने गए थे। गोरखपुर उपचुनाव के लिए UPCM ने जमकर प्रचार-प्रसार किया।

इसमें कोई सक नहीं की इन दोनों ही सीटों पर भाजपा, सपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला काटे का है। बसपा ने उप-चुनाव में प्रत्याशी नहीं खड़े किए हैं। भाजपा ने गोरखपुर से उपेंद्र दत्त शुक्ला को और फूलपुर सीट से कौशलेन्द्र सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने गोरखपुर से प्रवीण निषाद और फूलपुर से नागेन्द्र सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने गोरखपुर से सुरहिता करीम व फूलपुर से मनीष मिश्र को टिकट दिया है। सभी पार्टी अपना जोर आजमाने में पीछे नहीं हटी। ये उप-चुनाव ऐतिहासिक है। इस उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी जैसी विरोधी पार्टियां साथ मिलकर मैदान में उतरी। बीजेपी के खिलाफ एक साथ खड़ी हो गई हैं। भाजपा ने गोरखपुर से उपेंद्र दत्त शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है। उपेंद्र दत्त शुक्ला की पहचान पूर्वांचल में ब्राह्मण चेहरे के रूप में होती है। समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ निषाद समुदाय से आने वाले पार्टी के नेता प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी ने इस उपचुनाव में अपने उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। बसपा ने यहां पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है। ऐसे में ये चुनाव सीधे-सीधे बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन है। कांग्रेस फिलहाल किसी गठबंधन का हिस्सा बने अकेले इस उपचुनाव में लड़ रही है। कांग्रेस ने गोरखपुर से डॉ सुरहिता करीम को टिकट दिया है।

इसमें कोई दो राय नहीं की फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव को सीधे-सीधे उत्तर प्रदेश की आने वाले समय की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। यही वजह है कि दो विरोधी पार्टी एक साथ मिलकर इस उप-चुनाव में अपना परीक्षण कर रही कि क्या 2019 का नतीजा आम चुनाव में दोनों पार्टियों के गठबंधन के भविष्य पर फैसला सुनाएगा या बीजेपी अपनी दम ख़म से ऐसे ही आगे बढ़ती रहेगी?कुछ कह पाना अभी उचीत नहीं है।हाँ लेकिन 14 मार्च के चुनावी परिणाम काफी दिलचस्प होंगे इसमें दो राय नहीं है। इस परिणाम के बाद 2019 चुनाव के समीकरण को समझना बेहद आसान होगा।

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