भूमि संबंधित विवादों को समाप्त करने के लिए टेक्नोलॉजी का हो भरपूर इस्तेमाल

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने राजस्व विभाग से सम्बन्धित जन समस्याओं की सुनवाई करके उनके त्वरित निस्तारण के सम्बन्ध में प्रचलित व्यवस्था की समीक्षा की।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि भूमि संबंधित विवादों को समाप्त करने के लिए टेक्नोलॉजी भरपूर इस्तेमाल किया जाए। पैमाईश, वरासत, नामांतरण, कृषि भूमि से अकृषि भूमि में परिवर्तन आदि राजस्व संबधी मामलों में ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की जाए। निस्तारण के लिए समयावधि तय की जाए और पोर्टल के माध्यम से अनुश्रवण किया जाये। बिना उचित कारण मामलों व शिकायतों के निस्तारण में देरी लापरवाही के साथ-साथ भ्रष्टाचार का सूचक है। निर्धारित समयावधि में आवेदनों का निस्तारण न करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि रियल टाइम खतौनी व घरौनी भूमि संबंधी विवादों पर अंकुश लगाने में कारगर साबित होगी। उन्होंने राजस्व ग्राम खतौनियों को रियल टाइम खतौनी में परिवर्तिन करने का कार्य 40 प्रतिशत पूर्ण होने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अवशेष खतौनियों को भी जल्द से जल्द रियल टाईम खतौनी में परिवर्तित कराया जाये। रियल टाइम खतौनी में परिवर्तित होने से जमीन खरीदने के बाद जैसे ही नामांतरण होगा, खरीदार का नाम खतौनी के मुख्य कालम में तत्काल चढ़ जाएगा। अब तक खरीदार को इसके लिए इंतजार करना पड़ता था। राजस्व कर्मियों को भी अब हर छह साल में नई खतौनी बनाने के काम से मुक्ति मिल जाएगी।
उन्होंने कहा कि लम्बित राजस्व वादों को अभियान चलाकर निस्तारित कराया जाये। राजस्व वादों की आरसीसीएमएस पोर्टल से निरन्तर समीक्षा की जाये। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना में ऑनलाईन आवेदन की व्यवस्था को लागू किया जाये। स्वामित्व से उपलब्ध जियो-रिफरेन्स्ड घरौनी को फैमिली आई0डी0 से जोड़ा जाये, ताकि भविष्य में निवास प्रमाण पत्र जारी करने में सुगमता हो। भू-अभिलेखों में पारदर्शिता तथा एक व्यक्ति की प्रदेश में धारित समस्त भूमियों का विवरण एक क्लिक में उपलब्ध कराने के लिये खतौनी एवं अन्य प्रमाण पत्रों को आधार से सीडिंग करायी जाये।
उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण समाधान दिवस को और प्रभावी बनाया जाये। समाधान दिवस में सीमांकन, पैमाईश, नामांतरण, वरासत आदि शिकायतों व समस्याओं को तहसीलदार अथवा नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक एवं सम्बन्धित लेखपाल की टीम बनाकर मौके पर भेजकर त्वरित एवं गुणवत्तापरक निस्तारण कराया जाये। लोगों को अपनी समस्याओं के निस्तारण के वरिष्ठ अधिकारियों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने सीमांकन और पैमाईश में सर्वे के लिये तहसील स्तर पर दो-दो जीपीएस रोवर मशीन क्रय करने के भी निर्देश दिये, मशीन से भूमि की नाप में समय की बचत होगी और शुद्धता भी आयेगी। तहसीलों में स्थित रिकॉर्ड रूम को मॉर्डन रिकॉर्ड रूम में परिवर्तित करने के कार्य में तेजी लायी जाये।
बैठक में राजस्व परिषद की आयुक्त एवं सचिव सुश्री मनीषा त्रिघाटिया ने बताया कि सभी 1,06,802 राजस्व ग्रामों (चकबंदी एवं सर्वे अधीन ग्रामों को छोड़कर) की खतौनी कम्प्यूटरीकृत हैं। 1,06,802 राजस्व ग्राम खतौनियों के सापेक्ष 44,228 खतौनियों को रियल टाइम खतौनी में परिवर्तित किया जा चुका है, अवशेष का कार्य प्रगति पर है। नई व्यवस्था में खतौनी खेत के गाटा संख्या के अनुसार तैयार की जा रही है। खतौनी में बैंकों से ऑन-लाईन बंधक एवं बंधक मुक्त दर्ज करने का प्राविधान किया गया है। नामान्तरण पंजीकरण (आर-6) एवं परवाना (ई-परवाना) ऑन-लाईन कर दिया गया है। भूमि लेख को ई-कोर्ट से भी इंटीग्रेट कर दिया गया है। अंश निर्धारण का कार्य 70 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।
उन्होंने बताया कि रियल टाइम आधारित खतौनी में भूमि की प्रकृति अथवा अंश का भी स्पष्ट उल्लेख होगा। संक्रमणीय, असंक्रमणीय, आसामी, सीलिंग पट्टेदार, नवीन परती, आबादी, रास्ता अथवा चकरोड है, यह भी दर्ज होगा। इसमें खातेदार का अंश स्पष्ट होने से कृषि योजनाओं और किसान क्रेडिट कार्ड आदि बनवाने के लिए किसान को अलग से हिस्सा प्रमाण पत्र बनवाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। साथ ही अन्य सह खातेदारों के नाम भी होंगे। नई खतौनी में विवादित भूमि का भी उल्लेख होगा। इससे भूमि खरीदते समय उसकी सही स्थिति का पता चल सकेगा।
उन्होंने बताया कि उपलब्ध भू-मानचित्रों में से 97.22 प्रतिशत डिजीटाईज्ड हो चुके हैं। डिजीटाईज भू-मानचित्रों की जियो-रिफरेन्सिंग का 33 जनपदों में कार्य पूर्ण हो चुका है। सभी जियो-रिफरेन्स्ड भू-मानचित्रों में अलपिन जनरेट हो गया है। अलपिन 14 अंकों का अल्फा न्यूमेरिक कोड है, पिन कोड की भांति वास्तविक गाटा तक पहुंचने में सहायक है। अलपिन का प्रयोग पी0एम0 गतिशक्ति, एग्रीस्टैक एवं अलपिन में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि समस्त राजस्व न्यायालय एवं निबंधन कार्यालय कम्प्यूटरीकृत हो चुके हैं। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन पोर्टल के साथ भूलेख को इंटीग्रेट किया गया है। अभियान चलाकर निर्विवाद वरासत के 98.63 प्रतिशत प्रकरणों का निस्तारण कराया गया है। एंटी भू-माफिया पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के आधार पर 66,619.24 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर गर्ग सहित राजस्व विभाग के अन्य अधिकारीगण उपस्थिति थे।

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