मुख्य सचिव ने एक दिवसीय मण्डल स्तरीय कार्यशाला में जल संरक्षण की प्रेरणा दी

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने जल निकायों के संरक्षण, संवर्धन एवं जीर्णाेद्धार के सम्बंध में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित एक दिवसीय मण्डल स्तरीय कार्यशाला में प्रतिभाग किया।

 

अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि शहरों में जब तक जल सुरक्षित नहीं, तब तक शहर सुरक्षित नहीं है। इसलिए जरूरी है कि हम पानी की बूंद-बूंद का महत्व समझें और पूर्वजों के बनाये गये जल स्त्रोतों को हर हाल में संरक्षित करें।

 

उन्होंने समस्त अधिकारियों तथा कर्मचारियों को जल बचाने के लिए प्रेरित करते हुये कहा कि हम सभी लोग प्रकृति के साथ जुड़े हुए हैं। अभी हाल ही में आस्था के पर्व छठ पूजा में जल और सूर्य देवता को पूजा गया। सभी धार्मिक स्थलों पर जल का उपयोग किया जाता है, इसलिए हमें आस्था के इसी भाव से जल का आदर करना चाहिए।

 

उन्होंने जल संरक्षण के विषय पर कहा कि व्यर्थ पानी न बहाएं और जरूरत के हिसाब से प्रयोग करें। भूजल को रिचार्ज करने के लिए सबसे अच्छा समय बरसात का है। इस समय बारिश की एक-एक बूंद को संरक्षित कर सकते हैं। लोगों के घरों के छत पर जल संचय कर भू-जल को रिचार्ज करना है, ताकि जमीन का जलस्तर बरकरार रह सके तथा पेयजल की समस्या उत्पन्न न हो।

 

उन्होंने कहा कि देश में जल को बचाने में प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा। आज भारत ही नहीं विश्व के अनेक देश पानी की किल्लत को झेल रहे हैं। आने वाले समय में पानी का संकट पूरे विश्व के लिए घातक समस्या बनता जा रहा है। बरसात के पानी को संरक्षित कर हम प्रयोग में ला सकते हैं। पानी के बेवजह इस्तेमाल को रोकना चाहिए। आज जल बचाने की मुहिम भविष्य के लिए लाभदायक रहेगी। अगली पीढ़ी जल की त्रासदी से बच सकेगी।

 

ग्राम्य विकास विभाग के आयुक्त जी0एस0 प्रियदर्शी ने कहा कि नदियों को पुनर्जीवित करना एक बहुत बड़ा और पवित्र काम है। अब तक 22 नदियों को पुनर्जीवित किया जा चुका है। इसके अलावा करीब 75 नदियां ऐसी हैं, जिनको पुनर्जीवित करके उसके आस-पास पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को व्यवस्थित किया गया है।

 

मण्डलायुक्त, लखनऊ डॉ0 रोशन जैकब ने कहा कि मण्डल स्तर पर तालाबों और झीलों के संरक्षण का काम तेजी से चल रहा है। इस क्रम में वॉटर बॉडीज की मैपिंग भी करवायी गयी है।

 

कार्यक्रम में लेकमैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगवाड़ द्वारा कम समय और कम खर्च में नैसर्गिक तरीके से तालाबों और झीलों को पुनर्जीवित करने का मंत्र दिया गया। उन्होंने जल संरक्षण को लेकर किये जा रहे कार्यों का प्रस्तुतीकरण करते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक तरीके से तालाबों और झीलों का संरक्षण करना है। इससे जल निकायों के साथ ही पर्यावरण भी संरक्षित होगा और प्रदेश में ईको टूरिज्म बढ़ेगा। उन्होंने प्रदेश के 75 जनपदों में डेढ़ साल में सात हजार वॉटर बॉडीज को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया।

 

कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव आवास विकास नितिन रमेश गोकर्ण, लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ0 इन्द्रमणि त्रिपाठी समेत अन्य अधिकारी व विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

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