मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में ‘विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश विजन 2047’ विषयक कार्यशाला का शुभारम्भ किया

आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें आजादी के शताब्दी महोत्सव वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा

विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश हमारे पूर्वजों के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि : मुख्यमंत्री
हमारे पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया, उनका सपना था कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बने, पूर्वजों के सपनों को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में उत्तर प्रदेश विजन डॉक्यूमेण्ट-2047 पर 24 घण्टे अनवरत चर्चा की गयी
आने वाली पीढ़ियाँ स्मरण करेंगी कि हमारे पूर्वजों ने एक ऐसा भारत बनाया, जो हमारी आशाओं के अनुरूप है और हमारी आकांक्षाओं की पूर्ति कर रहा
विकसित भारत के निर्माण के लिए हम सबको प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये पंचप्रण मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा
प्रधानमंत्री द्वारा देशवासियों के समक्ष रखे गये 09 संकल्पों को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम विकसित भारत की आधारशिला तैयार करने में सफल होंगे
विशेषज्ञों की टीमों द्वारा अब तक प्रदेश की 110 से अधिक अकादमिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थाओं में युवाओं से संवाद बनाते हुए बहुमूल्य विचारों को आमंत्रित किया जा चुका
‘समर्थ उत्तर प्रदेश’ पोर्टल पर सभी नागरिक अपना सुझाव अवश्य दें, जनपद के विकास से जुड़े सर्वश्रेष्ठ 03 सुझावों तथा राज्य के विकास से जुड़े 05 सर्वश्रेष्ठ सुझावों को सम्मानित किया जायेगा
आत्मनिर्भरता के लिए हमें प्रधानमंत्री जी के ‘वोकल फॉर लोकल‘ मंत्र को अपनाना होगा 
नेचुरल फार्मिंग लागत को कम करने के साथ-साथ आपको स्वस्थ व स्वच्छ भोजन व्यवस्था से जोड़ती 
कृषि योग्य उर्वर भूमि और जल संसाधन के मामले में उ0प्र0 अत्यन्त समृद्ध
‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना‘ के उत्पाद देश में हर जगह छाये, ओ0डी0ओ0पी0 के 77 उत्पादों को जी0आई0 टैग प्राप्त हो चुका 
वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक प्रदेश की जी0एस0डी0पी0 12 लाख 75 हजार करोड़ रु0 थी, जो बढ़कर लगभग 36 लाख करोड़ रु0 पहुंच गयी, प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 में 45 हजार रु0 थी, जो बढ़कर 1.20 लाख रु0 पहुंच गयी 
देश के कुल इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेण्ट तथा मोबाइल निर्माण में उ0प्र0 का 60 से 65 फीसदी योगदान 
स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडर्न मेडिसिन ने काफी विकास किया, परम्परागत मेडिसिन जैसे आयुर्वेद व यूनानी भारत में हेल्थ टूरिज्म को विकसित कर सकता
प्रदेश में मौजूद प्रत्येक क्षेत्र की असीमित सम्भावनाओं को विजन डॉक्यूमेण्ट में सुझाव के रूप में समाहित करना होगा
उ0प्र0 वर्ष 2029-30 तक अपनी अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने की दिशा में अग्रसर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पितृ विसर्जन का पावन पर्व हमें अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर प्रदान करता है। इस अवसर पर हम सब विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश संगोष्ठी का हिस्सा बन रहे हैं। यह हमारे पूर्वजों के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।
मुख्यमंत्री ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर में ‘विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश विजन 2047’ विषयक कार्यशाला का शुभारम्भ करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कृषि एवं सम्बद्ध, पशुधन संरक्षण, औद्योगिक विकास, आई0टी0 एवं इमर्जिंग टेक्नोलॉजी, पर्यटन, नगर एवं ग्राम्य विकास अवस्थापना सेक्टर, संतुलित विकास, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सेवा एवं सुशासन सेक्टरों के स्टॉलों का निरीक्षण किया। यह कार्यशाला प्रबुद्धजन, शिक्षकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं, वास्तुकारों, अभियन्ताओं एवं उद्योगपतियों की सहभागिता से आयोजित की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। उनका सपना था कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बने। पूर्वजों के सपनों को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में उत्तर प्रदेश विजन डॉक्यूमेण्ट-2047 पर 24 घण्टे अनवरत चर्चा की गयी।
वर्तमान पीढ़ी को विकसित व आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की संकल्पना से अवगत कराने का क्रम अनवरत रूप से चल रहा है। विशेषज्ञों की टीमों द्वारा अब तक प्रदेश की 110 से अधिक अकादमिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थाओं में युवाओं से संवाद बनाते हुए बहुमूल्य विचारों को आमंत्रित किया जा चुका है।
‘समर्थ उत्तर प्रदेश’ पोर्टल पर सभी नागरिक अपना सुझाव अवश्य दें। जनपद के विकास से जुड़े सर्वश्रेष्ठ 03 सुझाव को सम्मानित किया जायेगा। इसी प्रकार राज्य के विकास से जुड़े 05 सर्वश्रेष्ठ सुझावों को सम्मानित किया जायेगा। वर्तमान में लाखों की संख्या में सुझाव आ रहे है। इस पर पूरी टीम कार्य कर रही है। विकसित भारत में विकसित उत्तर प्रदेश अभियान में सभी सारथी बन सकते हैं।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें आजादी के शताब्दी महोत्सव के अवसर पर वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। आने वाली पीढ़ियाँ स्मरण करेंगी कि हमारे पूर्वजों ने एक ऐसा भारत बनाया, जो हमारी आशाओं के अनुरूप है और हमारी आकांक्षाओं की पूर्ति कर रहा है। उस भारत के निर्माण के लिए हम सबको प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये पंचप्रण मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा। इन पंचप्रण में गुलामी के अंशों को सर्वथा समाप्त करना, विरासत का सम्मान करना, अपने पूर्वजों की परम्परा पर गौरव की अनुभूति करना, अपनी सेना, अर्धसैनिक बलों और वर्दीधारी जवानों के कार्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना व नागरिक कर्तव्यों का पालन करना सम्मिलित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चैन की नींद इसलिए सो पाते हैं, क्योंकि हमारे जवान सर्दी, गर्मी व बरसात की परवाह किये बिना देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। पैरामिलिट्री या पुलिस के जवान 24 घण्टे अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रह कर हमें सुरक्षा देने का कार्य करते हैं। यह देश इसलिए गुलाम हुआ, क्योंकि हम लोग आपस में बंटे हुए थे। हमें फिर से विभाजित नहीं होना है। हमें इस पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सामाजिक एकता के मार्ग को प्रशस्त करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। समतामूलक समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करना होगा। यही राष्ट्रीय एकता का आधार बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पंचप्रण के साथ ही 09 संकल्प भी देशवासियों के समक्ष रखे थे। यह संकल्प हमारी दिनचर्या को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। हमें जल संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति एक पेड़ मां के नाम अवश्य लगाए तथा उसका संरक्षण भी करे।
स्वच्छता हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा होनी चाहिए। पहले प्रदेश में गन्दगी के कारण इन्सेफेलाइटिस बीमारी से हजारों मौतें होती थीं। प्रदेश के गन्दगी मुक्त होने के परिणामस्वरूप इस बीमारी को समाप्त किया जा चुका है। आत्मनिर्भरता के लिए हमें प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल‘ मंत्र को अपनाना पड़ेगा। समय के अनुरूप स्थानीय उत्पादों की डिजाइन व टेक्नोलॉजी में परिवर्तन करना होगा।
विदेश यात्रा के स्थान पर हमें अपने ही देश में स्प्रिचुअल टूरिज्म का आनन्द लेना चाहिए। देश में चार धाम, 51 शक्तिपीठ, द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं। हमें हेरिटेज टूरिज्म की दृष्टि अपनानी चाहिए। देश का पैसा देश में ही खर्च करना चाहिए।
नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देना भी आवश्यक है, क्योंकि केमिकल, फर्टिलाइजर तथा पेस्टीसाइड्स के अनेक साइड इफेक्ट्स होते हैं, जो कैंसर, किडनी फेल्योर आदि अनेक प्रकार की बीमारियों के रूप में देखने को मिलते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कुछ समय पश्चात भारत मधुमेह का बड़ा केन्द्र बनने जा रहा है। इस बीमारी से बचने के लिए संयमित व नियमित दिनचर्या आवश्यक है। नेचुरल फार्मिंग लागत को कम करने के साथ-साथ आपको स्वस्थ व स्वच्छ भोजन व्यवस्था से भी जोड़ती है।
स्वस्थ रहने के लिए समय पर जगना, योगासन करना, मॉर्निंग वॉक पर निकलना, खेल गतिविधियों से जुड़ना अत्यन्त आवश्यक है। हमें किसी न किसी नेशनल मिशन के साथ जुड़कर किसी गरीब, दिव्यांग, महिला, निराश्रित बच्चों की सहायता के लिए स्वयं को समर्पित करना चाहिए। इन 09 संकल्पों को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम विकसित भारत की आधारशिला तैयार करने में सफल होंगे।
रामायण दुनिया का सबसे प्राचीन महाकाव्य है। रामायण में सामाजिक, राष्ट्रीय, पारिवारिक तथा प्राकृतिक जीवन से जुड़े सभी मूल्य समाहित हैं। महर्षि वाल्मीकि की यह कृति युगां-युगों से समाज का मार्गदर्शन कर रही है। दुनिया में हर देश का अपना एक राष्ट्रीय चरित्र होता है। हर देश अपने चरित्र के अनुरूप अपनी भूमिका तैयार करता है। रामायण के माध्यम से भगवान श्रीराम का जो चरित्र दिखाया है, वह राष्ट्रीय चरित्र के रूप में आज भी प्रासंगिक है।
देश में 60 फीसदी से अधिक भू-भाग उर्वरा है, जबकि अन्य बड़े देशो में उनके कुल भू-भाग का लगभग 20 प्रतिशत भाग ही कृषि योग्य है। भारत में 16 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि है। रूस में 12 करोड़ हेक्टेयर एवं चीन में 12 करोड़ हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। विकसित देशों ने अपनी कृषि योग्य भूमि में तकनीक का उपयोग कर लागत कम करने तथा उत्पादन बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है।
भौगोलिक दृष्टि से वृहत्तर भारत में पाकिस्तान तथा बांग्लादेश सम्मिलित थे। भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा भू-भाग था। पहले भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि भारत विकसित था। विदेशी आक्रान्ता भारत के वैभव को देखकर ही यहां आये थे। 17वीं शताब्दी तक भारत कृषि और उद्योग क्षेत्र में दुनिया में नम्बर एक स्थान पर था। भारत ने दुनिया में कृषि उत्पादन के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में भी अपना स्थान बनाया था। उस समय दुनिया की जी0डी0पी0 में भारत का योगदान 25 प्रतिशत था। 18वीं शताब्दी आते-आते भारत की क्षमता कम होती गयी। ब्रिटिश कालखण्ड में उद्योग बन्द हो गये। कृषि में लोगों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से बढ़कर 80 प्रतिशत हो गयी।
भारत के हस्तशिल्प व अन्य उद्योगां को हतोत्साहित किया गया। हस्तशिल्पियों एवं कारीगरों को प्रताड़ित किया गया। वर्ष 1947 आते-आते दुनिया की जी0डी0पी0 में भारत की हिस्सेदारी केवल 03 प्रतिशत रह गयी। देश का निर्यात लगभग शून्य हो गया था। भारत कपड़ा उत्पादन में कभी नम्बर एक पर था, अब यह उद्योग पतन की ओर पहुंच गया था, इन्हीं कारणों से भारत विफल होता गया।
उत्तर प्रदेश का भी कमोवेश यही हाल था। वर्ष 1947 में उत्तर प्रदेश, देश की अर्थव्यवस्था में 14 फीसदी योगदान के साथ पहले नम्बर पर था। वर्ष 1960 के बाद इसमें लगातार गिरावट आती गयी। गिरावट के इन कारकों पर वर्ष 2017 के बाद विचार प्रारम्भ किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का हृदय स्थल है। यहां देश की सर्वाधिक आबादी निवास करती है। कृषि योग्य उर्वर भूमि और जल संसाधन के मामले में उत्तर प्रदेश अत्यन्त समृद्ध है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से वाराणसी तक समतल भूमि है। दुनिया में इतने अधिक क्षेत्रफल में समतल और उर्वरा भूमि देखने को नहीं मिलती। विकसित अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग क्षेत्र के अनुपात में साम्यता होती है। आधी आबादी कृषि तथा आधी आबादी उद्योग में कार्य करती है। यदि हमारी निभर्रता केवल कृषि पर होगी, तो अर्थव्यवस्था विकसित नहीं हो पायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी ने हापुड़ के पापड़, मेरठ की रेवड़ी, आगरा का पेठा आदि के बारे में सुना था। प्रदेश के अन्य जनपदों की प्रसिद्ध वस्तुओं के बारे में जब चर्चा की गयी, तो पता चला कि लखनऊ में चिकनकारी, भदोही में कालीन, मुरादाबाद में पीतल, फिरोजाबाद में काँच आदि उन्नत उद्योग थे, जो तकनीक, बेहतरीन पैकेजिंग, ब्राण्डिंग आदि से न जुड़ने के कारण मृतप्राय हो गये थे। इनको बाजार तथा निर्यात से जोड़ने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी। प्रदेश सरकार द्वारा इन उद्योगो को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये गये।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि कोई समाज अपने परम्परागत उद्योग को हतोत्साहित करेगा, तो उसका विकास कभी नहीं हो पायेगा। प्रदेश के सभी स्थानीय उद्योगों एवं उत्पादों को बढ़ावा देने हेतु ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना‘ चलायी गयी। आज प्रदेश में 96 लाख एम0एस0एम0ई0 इकाइयाँ क्रियाशील हैं। गोरखपुर में लोग टेराकोटा उद्यम से जुड़े हुए हैं। इस उद्योग को पुनर्जीवित करने के परिणामस्वरूप युवाओं को स्थानीय रोजगार प्राप्त हो रहा है। ओ0डी0ओ0पी0 योजना के अन्तर्गत निर्मित प्रदेश के उत्पाद देश में हर जगह छा गये हैं। ओ0डी0ओ0पी0 के 77 उत्पादों को जी0आई0 टैग भी प्राप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले अयोध्या में दीपोत्सव हेतु प्रदेश के अन्य जनपदों से दीप मंगाने पड़ते थे। अयोध्या के कुम्हारों को यंत्र देकर प्रोत्साहित किया गया। परिणामस्वरूप अब दीपोत्सव हेतु बाहर से दीप नहीं मंगाने पड़ते हैं। दीपावली पर्व पर सभी वस्तुओं पर चीन का अधिकार था, आज चीन का सामान बाजार से गायब हो गया है। अब हमारे हस्तशिल्पियों को तकनीक के साथ बाजार भी प्राप्त हो गया है। वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक प्रदेश की जी0एस0डी0पी0 12 लाख 75 हजार करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर लगभग 36 लाख करोड़ रुपये पहुंच गयी है। प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 में 45 हजार रुपये थी, जो बढ़कर 1.20 लाख रुपये पहुंच गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र में विकास देखने को मिला रहा है। ओ0डी0ओ0पी0 ने हर मजदूर को अतिरिक्त कार्य दिया है। कृषि क्षेत्र में सिचांई की व्यवस्था, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पी0एम0 किसान सम्मान निधि, आदि के माध्यम से कृषि क्षेत्र को उन्नत किया गया है। डी0बी0टी0 के माध्यम से 2.86 लाख करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मध्य उत्तर प्रदेश में किसान वर्ष में तीन फसल का उत्पादन कर रहा है। अभी इस क्षेत्र में कार्य करने की असीम सम्भावनाएं है। अब उन्हीं पर आगे की कार्ययोजना तैयार करने के लिए यह कार्य हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गोरखपुर में आज से 10 वर्ष पहले एक विश्वविद्यालय होता था। बाद में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। आज गोरखपुर में 04 विश्वविद्यालय हैं। गीडा में भी निवेश आ रहा है। उत्तर प्रदेश में पहले लोग निवेश से डरते थे। पहले स्वास्थ्य के केन्द्र के रूप में गोरखपुर के केवल बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज था। वह भी बीमार अवस्था में था, संसाधन का आभाव था, गन्दगी रहती थी। इस सीजन में इंसेफेलाइटिस से लोग कठिनाई से लड़ते थे। अब बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज स्वस्थ हो गया है और इंसेफेलाइटिस भी समाप्त हो गयी है। आज बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज का इंसेफेलाइटिस वॉर्ड संसाधन सम्पन्न हो गया है। गोरखपुर में एम्स एक कल्पना हुआ करता था, जो आज एक हकीकत है।
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में डेढ़ एक्सप्रेस-वे थे। आज उत्तर प्रदेश में 08 एक्सप्रेस-वे संचालित हैं और 06 अन्य पर कार्य चल रहा है। 07 नये एक्सप्रेस-वे का डी0पी0आर0 बनाया जा रहा है। देश की एक्सप्रेस-वे कनेक्टिविटी में उत्तर प्रदेश का 60 प्रतिशत योगदान है।
अन्तर्राज्यीय कनेक्टिविटी के रूप में आज प्रदेश में 4-लेन तथा 6-लेन की सड़कों का जाल है। तहसील व जिला मुख्यालय को 2-लेन व 4-लेन कनेक्टिविटी से जोड गया है। प्रदेश में रोड कनेक्टिविटी बहुत अच्छी हो चुकी है। किसी भी राज्य की तुलना में आज उत्तर प्रदेश की सड़कें काफी बेहतर हैं। प्रदेश के 06 शहरों में मेट्रो रेल का संचालन हो रहा है। देश की पहली रैपिड रेल मेरठ से दिल्ली तक संचालित है। प्रदेश में इनलैण्ड वॉटर-वे भी प्रारम्भ हो चुका है।
आज प्रदेश में 16 एयरपोर्ट हैं। देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट नोएडा के जेवर में इस वर्ष के अन्त तक संचालित हो जायेगा। यात्रा के साथ लॉजिस्टिक एवं कार्गो के क्षमता के सम्बन्ध भी यह एयरपोर्ट एक हब बनेगा। आज देश के कुल इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेण्ट तथा मोबाइल निर्माण में उत्तर प्रदेश का योगदान 60 से 65 फीसदी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी कार्य विगत 08 वर्ष में किये गये हैं। इस सफलता से यह सुनिश्चित हो गया कि उत्तर प्रदेश एक विकसित प्रदेश बनेगा। इस पर कार्य योजना बनाने हेतु हमारे पास एक विजन डॉक्यूमेण्ट होना चाहिए। उसमें जनता के सुझाव भी शामिल होने चाहिए। 03 थीम तथा 12 सेक्टर से जुड़े सुझाव सभी सेक्टर से जुड़े लोगों की ओर से आने चाहिए।
शिक्षा के क्षेत्र में पहले उन्नत तकनीक नहीं थी, आज सभी के पास मोबाइल है। प्रदेश सरकार मेधावी छात्र-छात्राओं को स्मार्टफोन का वितरण कर रही है। आज शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। छात्र कहीं भी बैठकर दुनिया के किसी भी कोने से वर्चुअल क्लास के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर सकता है। कोरोना कालखण्ड में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया था। लॉकडाउन के दौरान मेडिकल, इंजीनियर एवं अन्य कॉम्पटिशन के छात्रों के लिए अभ्युदय कोचिंग की व्यवस्था की गयी। यह कार्यक्रम डिजिटली व वर्चुअली दोनों तरीकों से चलाया गया। आज विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणामों में अभ्युदय कोचिंग के भी छात्र बड़ी संख्या में सफल होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि अभ्युदय कोचिंग चल सकती है तो वर्चुअल कक्षा भी चल सकती है। कोरोना कालखण्ड में प्रदेश सरकार ने वर्चुअल आई0सी0यू0 चलाया था। लॉकडाउन के दौरान 36 जनपदों में जहां आई0सी0यू0 व वेण्टिलेटर नहीं थे, वहां सभी व्यवस्था सुनिश्चित कराकर लखनऊ के एस0पी0जी0आई0, के0जी0एम0यू0 एवं आर0एम0एल0 को जिम्मेदारी दे कर वर्चुअल संचालन कराया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडर्न मेडिसिन ने काफी विकास किया है। परम्परागत मेडिसिन जैसे आयुर्वेद व यूनानी भारत में हेल्थ टूरिज्म को विकसित कर सकता है। केरल और कनार्टक सहित कुछ राज्यों ने इस क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है। मॉडर्न मेडिसिन व ट्रेडिशनल मेडिसिन, फार्मेसी व नर्सिंग आदि मे सभी में व्यापक सम्भावनाएं छिपी हैं। इन सम्भावनाओं को चिन्हित कर 05 वर्ष या 10 वर्ष के छोटे-छोटे लक्ष्य को हमें विजन डॉक्यूमेण्ट में समाहित करना है। यह कार्य सम्भव हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नगरीकरण तेजी से बढ़ने वाली प्रक्रिया है। यह अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करता है तथा लोगों के जीवन स्तर को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इमर्जिंग टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी अनेक सम्भावनाएं हैं। आज सेमीकण्डक्टर के क्षेत्र में एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है। सेमीकण्डक्टर की एक यूनिट लगाने में लगभग 01 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ती है। आज डिजिटल क्षेत्र में सेमीकण्डक्टर के बिना कोई आगे नही बढ़ सकता है। सेमीकण्डक्टर पर जिसका कब्जा होगा उसका पूरे बाजार पर कब्जा होगा। इसमें रोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं। इस क्षेत्र में भारत के पास बेहतरीन अवसर है। उत्तर प्रदेश के पास इस क्षेत्र में बड़ा अवसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पास प्रतिभावान युवाओं की बड़ी आबादी है तथा सबसे अधिक उर्वरा भूमि है। उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र व सर्विस क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं। वर्ष 2017 के पहले उत्तर प्रदेश में केवल 03 करोड़ पर्यटक आते थे। इस बार अकेले महाकुम्भ में 66 करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक आये। सर्विस सेक्टर रोजगार के कई अवसर प्रदान करता है। यह गाइड के रूप में, होटल व्यवसाय में, टैक्सी प्रदाता के रूप में रोजगार उपलब्ध कराता है। इसमें अनेक सम्भावनाओं को चर्चा के माध्यम से चिन्हित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन भारत में पाणिनी, सुश्रुत, चरक जैसे विद्धानों ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही अपने ग्रन्थों की रचना की थी। यह दुनिया का पहला विश्वविद्यालय था। इस विश्वविद्यालय ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा खगोल, ज्योतिष, आयुर्वेद, भूगोल, राजनीति की शिक्षा में अपनी महारत हासिल की थी। हम भी अपने शैक्षिक संस्थानों को रिसर्च व इनोवेशन का केन्द्र बना सकते हैं।
तक्षशिला विश्वविद्यालय के छात्र जीवक ने अपने गुरु के आदेशानुसार समस्त वनस्पतियों पर शोध के बाद यह बताया कि कोई वनस्पति ऐसी नहीं है, जिसमें कोई औषधीय गुण न हो। भारत की ऋषि परम्परा भी कहती है कि कोई अक्षर ऐसा नहीं है, जिसमें मंत्र बनने का सामर्थ्य न हो। यह परम्परा कहती है कि कोई भी अयोग्य नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति योग्य है और एक योजक के रूप में अपनी भूमिका निभा सकता है।
विकसित उत्तर प्रदेश के लिए प्रदेश के हर नागरिक को छोटे-छोटे लक्ष्य बनाना चाहिए। उत्तर प्रदेश वर्ष 2029-30 तक अपनी अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य तय करते हुए इस माइलस्टोन को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। उसके बाद हमारा लक्ष्य वर्ष 2029 से 2035 तक 03 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का होगा। इसके बाद वर्ष 2046-47 तक उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 06 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का होगा। इस पर विजन डॉक्यूमेण्ट व कार्ययोजना बनायी जायेगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जायेगा। प्रदेश का प्रत्येक नागरिक इस दिशा में कार्य करेगा।
विकसित भारत के लिए हमें उत्तर प्रदेश को विकसित करना होगा। उत्तर प्रदेश को विकसित करने के साथ ही गोरखपुर को भी विकसित करना होगा। हमें प्रदेश के प्रत्येक गांव, नगर व कस्बे को विकसित करने के लिए कार्य करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रत्येक क्षेत्र में असीमित सम्भावनाएं हैं। इन सम्भावनाओं को भी विजन डॉक्यूमेण्ट में सुझाव के रूप में समाहित करना है। प्रत्येक क्षेत्र सें हमें सुझावों को समाहित करना है। हमें युवाओं, किसानों, शिक्षकों, चिकित्सकों से बहुमूल्य सुझाव प्राप्त कर विजन डॉक्यूमेण्ट में इन्हें समाहित करना है और उसके अनुसार लक्ष्य बनाना है।
इस अवसर पर जनपद के प्रभारी/जल शक्ति विभाग मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, महापौर डॉ0 मंगलेश श्रीवास्तव, विद्यायक महेन्द्र पाल सिंह सहित कुलपतिगण, विभिन्न जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारीगण, प्रबुद्धजन, शिक्षकों, चिकित्सक, अधिवक्ता वास्तुकार, अभियन्ता एवं उद्योगपति सहित विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।

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