अमृतधारा स्कीम पर उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग में उच्च स्तरीय कोर बैठक
किसानों की आर्थिक समृद्धि को लेकर बनी रणनीति

किसानों और पशुपालकों की समृद्धि को ध्यान में रखते हुए, यूको बैंक ने अमृतधारा स्कीम की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य गोवंश संरक्षण, दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है। यह योजना भारत सरकार की Animal Husbandry Infrastructure Development Fund (AHIDF) स्कीम की तर्ज पर तैयार की गई है, जिसे सभी बैंकों द्वारा अपनाया गया है।
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग में अमृतधारा स्कीम पर कोर बैठक
आज उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग में एक महत्वपूर्ण कोर बैठक आयोजित की गई, जिसमें पद्मश्री डॉ. भारत भूषण त्यागी, आयोग अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त, पी. एस. ओझा, एवं यूको बैंक के ज़ोनल मैनेजर आशुतोष सिंह शामिल हुए। इस बैठक में अमृतधारा स्कीम के प्रभावी क्रियान्वयन और इसे ग्राम स्तर तक पहुँचाने पर व्यापक चर्चा की गई। आयोग ने किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने हेतु इस योजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की प्रतिबद्धता जताई।
अमृतधारा स्कीम के प्रमुख बिंदु
योजना दो घटकों में विभाजित
2 से 10 गाय पालने हेतु ₹10 लाख तक का ऋण।
₹3 लाख तक का ऋण बिना किसी गारंटी के उपलब्ध।
दुग्ध उत्पादन और जैविक खेती को बढ़ावा।
किसानों के बैंक खातों से सीधे भुगतान की सुविधा।
₹2 लाख तक का बीमा कवर।
घटक-बड़े चिलिंग सेंटर और दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्रों के लिए ऋण, जिससे छोटे किसानों और गोपालकों को अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
योजना के लाभ
भूमिहीन किसानों और छोटे पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक।
ऑर्गैनिक खेती, दुग्ध उत्पादन और जैविक उत्पादों को बढ़ावा।
गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर जैविक खाद एवं बायोगैस संयंत्र की स्थापना।
एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों द्वारा जैविक दूध और सब्जियों की मार्केटिंग।
शहरी उपभोक्ताओं को सीधे ऑर्गैनिक दूध, दही, घी, अनाज और सब्जियाँ उपलब्ध कराने की योजना।
विशेषज्ञों और अधिकारियों की राय
अध्यक्ष, गो सेवा आयोग, श्याम बिहारी गुप्त ने इस योजना को ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से लागू करने पर बल दिया और कहा कि इससे किसानों को आर्थिक मजबूती और आत्मनिर्भरता मिलेगी। उन्होंने कृषि और पशुपालन के एकीकरणको बढ़ावा देने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने अमृतधारा स्कीम को ग्रामीण स्तर तक पहुँचाने की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यह योजना किसानों के आर्थिक उत्थान का आधार बनेगी। गोवंश संरक्षण और जैविक कृषि को जोड़कर एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जिससे किसान स्वावलंबी बनें और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो। उन्होंने बैंक और किसानों के बीच सीधा संबंध स्थापित करनेपर बल दिया, ताकि किसानों को सरकारी योजनाओं का त्वरित लाभ मिल सके। इस योजना के तहत किसानों को कैटल शेड और बायोगैस प्लांट की स्थापना के लिए प्रेरित करनेका सुझाव दिया, जिससे गोबर और गोमूत्र का उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जा सके। महिला स्वयं सहायता समूहों और एफपीओ को अमृतधारा स्कीम से जोड़ने की आवश्यकता बताई, जिससे महिलाएँ ऑर्गैनिक दूध, दही, घी, सब्जियाँ और अन्य जैविक उत्पादों का व्यापार कर सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को ऑर्गैनिक चारे से तैयार दुग्ध उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि उन्हें बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त हो। पद्मश्री डॉ. भारत भूषण त्यागीने योजना की सराहना करते हुए कहा कि सहअस्तित्व और चक्रीय अर्थव्यवस्था इस योजना की सफलता के दो प्रमुख स्तंभ होंगे। उन्होंने सहअस्तित्वता पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों, कृषि, पशुपालन और मानव जीवन के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। पर्यावरण, भूमि, जल और स्वास्थ्य के साथ सामंजस्य स्थापित किए बिना कोई भी नीति स्थायी नहीं हो सकती। बीजनेस फॉर प्रॉफ़िट नहीं, बिजनेस फॉर प्रॉस्पेरिटीष्का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है कि किसानों को केवल लाभ की बजाय समृद्धि को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसान समृद्ध होंगे, तो उनकी भूमि उपजाऊ बनी रहेगी, पशुपालन सही तरीके से होगा, और स्वास्थ्य पर खर्च कम होगा, जिससे समाज का समग्र विकास संभव होगा।
राष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे किसान अपनी भूमि की उर्वरता को समझें और विविध फसल उत्पादन के लिए प्रेरित हों। गोशालाओं और एफपीओ को प्राकृतिक खेती एवं जैविक उत्पादों के केंद्र के रूप में विकसित करनेका सुझाव दिया, जिससे किसान अपनी आय बढ़ा सकें। उत्तर प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में ऑर्गैनिक प्रसाद वितरण की व्यवस्था करनेका सुझाव दिया, जिससे किसानों के जैविक उत्पादों को बाजार मिले और उन्हें आर्थिक संबल प्राप्त हो।
पी. एस. ओझा, पूर्व सलाहकार जैविक ऊर्जा एवं कृषि विभाग ने किसानों को पक्के कैटल शेड बनाने और मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजनाके तहत गोवंश गोद लेने की सुविधा पर भी जोर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजनाका उल्लेख करते हुए कहा कि किसानों को 1 से 4 गोवंश गो आश्रय स्थल से गोद लेने की सुविधा दी जानी चाहिए। मनरेगा योजना के अंतर्गत पक्के कैटल शेड निर्माण को बढ़ावा देने की बात कही, जिससे किसानों को सरकारी योजनाओं के साथ-साथ अमृतधारा स्कीम का अधिकतम लाभ मिल सके। किसी भी पॉलिसी के क्रियान्वयन से पहले उसके नैतिक और सामाजिक प्रभावों को समझना आवश्यक होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को किसानों के आर्थिक विकास के लिए पंचगव्य उत्पादों (गौमूत्र, गोबर आदि से बने जैविक उत्पादों) का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, जिससे स्थानीय और वैश्विक स्तर पर जैविक उत्पादों की मांग को पूरा किया जा सके। किसानों को सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जाए, तो वे कृषि और पशुपालन को लाभदायक व्यवसाय में बदल सकते हैं।
यूको बैंक के ज़ोनल मैनेजर, आशुतोष सिंह ने बताया कि यह योजना पशुपालन को आत्मनिर्भर व्यवसाय बनाने, किसानों की आय बढ़ाने, जैविक कृषि को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करनेकी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि अमृतधारा स्कीम विशेष रूप से छोटे किसानों और पशुपालकों के लिए तैयार की गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंकिंग सेवाओं और ऋण योजनाओं को किसानों तक आसानी से पहुँचाने के लिए एक प्रभावी प्रणाली विकसित की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ₹3 लाख तक के ऋण के लिए किसी भी प्रकार की गारंटी नहीं ली जाएगी, जिससे छोटे किसानों को आर्थिक सहायता मिल सके। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बड़े चिलिंग सेंटर और दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्रों के लिए ऋण उपलब्ध कराने की योजना के बारे में भी बताया, जिससे छोटे किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। उन्होंने एफपीओ और महिला स्वयं सहायता समूहों को योजना से जोड़नेकी बात कही, ताकिवे जैविक दूध और ऑर्गैनिक सब्जियों की मार्केटिंग कर सकें। उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग ने स्पष्ट किया कि अमृतधारा स्कीम को गाँव-गाँव तक पहुँचाने और किसानों को इसका अधिकतम लाभ दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इस योजना के तहत किसानों को स्वावलंबी बनाने, जैविक खेती को प्रोत्साहित करने, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करनेके लिए बैंकिंग और सरकारी संस्थाओं के बीच तालमेल बढ़ाया जाएगा।
बैठक में विशेषज्ञों ने अमृतधारा स्कीम को किसानों की आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस योजना से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग ने स्पष्ट किया कि यह योजना पूरे राज्य में जल्द से जल्द लागू की जाएगी, जिससे किसानों, पशुपालकों और जैविक उत्पादकों को एक सशक्त मंच मिल सके।