आरएलडी 26 दिसम्बर को करेंगी ‘घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन’, मुख्यमंत्री सौंपेगे ज्ञापन

राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश सरकार से लगातार गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहा है किन्तु सरकार मौन साधे हुए हैं। यदि 23 दिसम्बर किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयन्ती तक गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया और बकाया भुगतान नहीं हुआ तो राष्ट्रीय लोकदल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयन्त सिंह के नेतृत्व में 26 दिसम्बर को लखनऊ में घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन के तहत प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने चुनाव में वादा किया था कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन के अन्दर मिलों द्वारा नहीं किया गया तो उन्हें ब्याज सहित भुगतान करना पडेगा। परन्तु आज तक न तो कोई कानून इस पर बना और न ही मिल मालिकों पर किसी प्रकार का दबाव बनाकर इसे लागू किया गया।
गन्ना किसान गन्ना मिलों पर गन्ना गिराकर अपने खेतों में रबी की बुवाई करता है जब मिले जल्दी चलती हैं तो वह खेत खाली कर गेहूं, आलू, सरसों की बुवाई कर देता है। इस वर्ष जानबूझकर मिलों को देरी से चलाया जिसके कारण किसानों की रबी की बुवाई समय पर नहीं हो पाई जिसके कारण किसान परेशान है। सरकार किसानों की बात सिर्फ चुनाव के समय में करती है उनका वोट लेती है और बाद में मिल मालिकों के साथ मिलकर किसानों का शोषण करने लगती है। आज भी किसानों का गन्ना मिलों पर लगभग पिछले वर्ष का ही भुगतान 800 करोड़ से ज्यादा है जिससे किसान बेहद परेशान है। वर्तमान पेराई सत्र देर से चलने और समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं होे पाने के कारण किसान अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है।
उ0प्र0 में गन्ना, आलू ही प्रमुख रूप से व्यापारिक फसल है किन्तु गन्ना और आलू पर सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण गन्ना और आलू के किसान परे षानी और बदहाली के शिकार है उनको फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है।
प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर और आमदनी दोगुना करने के सब्जबाग दिखाती है लेकिन उसकी नीति और नियत किसानों पर कहर बरपाने की है। किसान आन्दोलन के दौरान केन्द्र सरकार ने अनेक वादे किये थे जिसमें एम0एस0पी0 पर कानून बनाकर किसान की उपज का लाभकारी मूल्य का मार्ग प्रशस्त करना, आन्दोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लिये जाने, आन्दोलन के दौरान शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा देना, स्वामीनाथन कमेटी को पूर्णतया लागू करने की बात कही गयी थी जो सभी वादे आज तक पूरे नहीं किये।
गन्ना किसानों को गन्ना उत्पादन में लागत पिछले 4 वर्षो में डेढ गुना बढ गयी है किन्तु केन्द्र सरकार गन्ना मूल्य में मात्र 10 रुपये की वृद्धि की है जो ऊँट के मुँह में जीरा समान है। प्रदेश सरकार से उम्मीद थी कि वह उ0प्र0 के गन्ना किसानों को अन्य राज्य की तरह गन्ना मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल से अधिक करेगी किन्तु प्रदेश सरकार मूकदर्शक की भूमिका में है और मिल मालिक की मर्जी पर किसान को छोड दिया है जो गंभीर चिंता का विषय है।